महाराष्ट्र: शीर्ष अदालत हमारी तरह अजित पवार वाली NCP को भी नया चुनाव चिह्न दें

शरद पवार ने निर्वाचन आयोग के छह फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को वास्तविक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता दी गई है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर मांग की थी कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों को नए नाम और चुनाव चिह्न दिए जाएं। इस मामले पर एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत से एनसीपी के दोनों गुटों के साथ बराबर व्यवहार करने का अनुरोध किया है। दरअसल, सुले का कहना है कि जिस तरह उनकी पार्टी को नया चुनाव चिह्न दिया गया है, उसी तरह अजित पवार के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को भी नया नाम और चिह्न दिया जाना चाहिए।

लोकसभा सदस्य सुले ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ‘एनसीपी (एसपी) ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की मांग की है।’

क्या है मामला?
शरद पवार ने निर्वाचन आयोग के छह फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को वास्तविक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता दी गई है। निर्वाचन आयोग ने राकांपा का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ भी अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को आवंटित कर दिया था। शरद पवार द्वारा स्थापित एनसीपी का चुनाव चिह्न विभाजन से पहले ‘घड़ी’ ही था।

शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि शरद पवार के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल अजित पवार गुट द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को शरद पवार गुट को देश में लोकसभा चुनाव से पहले नाम के रूप में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ और चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता आदमी’ का उपयोग करने की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने 19 फरवरी को निर्देश दिया था कि शरद पवार गुट को पार्टी का नाम ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ आवंटित करने का निर्वाचन आयोग का आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा।

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 15 फरवरी को कहा था कि अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट ही असली एनसीपी है और संविधान में दलबदल रोधी प्रावधानों का इस्तेमाल आंतरिक असंतोष को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता। शरद पवार ने कांग्रेस से निष्कासन के बाद 1999 में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर एनसीपी की स्थापना की थी। पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने एनसीपी के अधिकतर विधायकों को अपने साथ मिला लिया था और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार को समर्थन दिया था।

अब क्या कदम उठाया?
शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों गुटों को नए चुनाव चिह्न दिए जाएं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की। इससे पहले शरद पवार गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वह मामले को तत्काल सूचीबद्ध करना चाहते हैं।

क्या बोलीं शरद की बेटी सुले?
सुप्रिया सुले ने कहा, ‘शरद पवार हमारी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं और सभी फैसले वही लेते हैं। एनसीपी (एसपी) ने सुप्रीम कोर्ट से प्राकृतिक न्याय की मांग की है।’

उन्होंने कहा कि अदालत ने हमसे अंतिम फैसला आने तक ‘तुरहा बजाता आदमी’ चिह्न का इस्तेमाल करने को कहा है। एनसीपी के दूसरे गुट के लिए भी यही फैसला लिया जाना चाहिए। ‘घड़ी’ प्रतीक के बारे में बड़ा भ्रम है। इसलिए हम अदालत से आगामी विधानसभा चुनाव से पहले फैसला लेने का अनुरोध करते हैं।

शरद पवार की बेटी और बारामती सांसद ने कहा कि यहां दो राजनीतिक दल एक ही चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे हैं और अदालत ने अभी तक कोई फैसला नहीं दिया है, इसलिए दोनों दलों से समान व्यवहार होना चाहिए।

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