महाराष्ट्र सरकार ने नहीं चुकाए गए बैंकों के फसल ऋण की वास्तविक राशि की गणना और ऋण लेने वालों किसानों की संख्या पता करने के लिए समिति गठित की. समिति ऐसे समय गठित की गई जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के किसानों के आंदोलन के बीच 31 अक्तूबर तक फसल ऋण माफी योजना का आश्वासन दिया था. सहकारी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि शुरूआती आकलन के अनुसार, केवल 30 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में 89 . 75 लाख किसानों का 15989 करोड़ फसल रिण है जो चुकाया नहीं गया है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में चल रहा किसान आंदोलन लगातार बढ़ा होता जा रहा है. गुरुवार सुबह राज्य में एक और किसान के खुदकुशी की. इससे पहले नासिक के दो किसान भी खुदकुशी कर चुके हैं. वहीं अब सोलापुर के करमाला तहसील के एक गांव में 45 साल के धनाजी जाधव ने खुदकुशी कर ली है. कर्जे में दबे इस किसान ने खुदकुशी से पहले राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिख कर कहा कि मेरा अंतिम संस्कार ना किया जाए बल्कि मेरे दोस्तों का कर्ज माफ कर दिया जाए.
इससे पहले खबर थी कि जिसको देखते हुए राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार बैकफुट पर है. राज्य में खुदकुशी का आंकड़ा बढ़ने के बाद अब राज्य सरकार पांच एकड़ से कम जमीन वाले 1 करोड़ से ज्यादा किसानों की कर्ज माफी का फैसला कर सकती है. कहा जा रहा है कि इसका ऐलान 31 अक्टूबर को हो सकता है. इससे इतर शिवसेना ने कैबिनेट मीटिंग से कन्नी काटी.
1 जून से चल रहा है आंदोलन महाराष्ट्र में किसानों ने फसल खराब होने की वजह से कर्ज माफी तथा एमएसपी की गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए एक जून को आंदोलन शुरू किया था. महाराष्ट्र के किसानों ने देवेंद्र फडणवीस सरकार के खिलाफ ‘किसान क्रांति’ नाम से आंदोलन शुरु किया है, आंदोलन कर रहे किसानों ने अहमदनगर जिले में बड़ी मात्रा में दूध हाईवे पर बहा दिया. वहीं किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन जारी रखेंगे.
कहां से हुई शुरुआत महाराष्ट्र में किसान आंदोलन की शुरुआत अहमद नगर जिले में गोदावरी नदी के किनारे बसे पुणतांबा गांव से हुई. सबसे पहले इसी गांव में हड़ताल हुआ.
ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें
– किसानों के सभी कर्ज माफ किए जाएं
– स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाए
– खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज दे सरकार
– 60 साल के उम्र वाले किसानों को पेंशन दिया जाए
– दूध के लिए प्रति लीटर 50 रुपये मिले
नासिक बना नया केंद्र
मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई जैसे इलाकों को सब्जी और दूध की आपूर्ति करने वाला नासिक किसान आंदोलन का नया केंद्र बन गया है. इसलिए ऐसी आशंका है कि अगर यह आंदोलन खत्म नहीं हुआ तो इन सबका असर मुंबई और आस-पास के शहरों पर पड़ेगा. किसान नेताओं और सरकार में सुलह नहीं हुई तो मुंबई समेत आसपास के शहरों में संकट गहरा सकता है. इन शहरों में तमाम जरूरी सब्जियों की कालाबाजारी शुरू हो सकती है. किसानों की हड़ताल संबंधित सभी निर्णय नासिक में लिए जाएंगे, जिसकी वजह से हड़ताल में फूट पड़ने के संकेत दिख रहे हैं.
सुलह की कोशिश असफल
शुक्रवार की रात किसान नेताओं से बात करने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने शनिवार को ऐलान किया था कि उनकी सरकार कम जमीन वाले किसानों का कर्ज माफ करेगी. उन्होंने कहा कि इस कदम से विदर्भ और मराठवाड़ा के ऐसे 80 फीसदी किसानों को लाभ होगा. सीएम से समझौते के बाद पुणतांबा के किसानों की कोर कमेटी द्वारा हड़ताल वापस लेने का ऐलान किया गया, लेकिन सोमवार को महाराष्ट्र बंद की पुकार के साथ किसान फिर से एकजुट हुए.
इस आंदोलन में फूट पड़ गई. किसानों के आंदोलन की आगे की नीति तय करने के लिए नासिक में किसानों के नेताओं की सभा हुई, जिसमें 5 जून को महाराष्ट्र बंद रखने का निर्णय लिया गया. किसानों द्वारा सोमवार को महाराष्ट्र बंद करने की घोषणा की गई. सोमवार को कई जगहों पर सब्जियों से भरी गाडि़यों को रोक कर उनमें भरी सब्जियों को सड़कों पर फेंक दिया गया. इसी तरह दूध की गाड़ियों को भी रोककर दूध सड़क पर बहाया गया.
हड़ताल को मिला राजनीतिक रंग किसानों की हड़ताल में अब राजनीतिक पार्टियों ने भी दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है. राज्य के विभिन्न स्थानों में किसानों के आंदोलन में राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं की सक्रिय भूमिका नजर आई. साथ ही शिवसेना ने भी हड़ताल को समर्थन का ऐलान किया. शिवसेना कार्यकर्ताओं ने आंदोलन को सहयोग देते हुए उस्मानाबाद में चक्का जाम किया. महाराष्ट्र के कई इलाकों में अभी भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. सोलापुर में किसानों ने मुख्यमंत्री फड़णवीस का पुतला भी जलाया और सिर मुंडवाकर विरोध जताया. महाराष्ट्र के अहमदनगर के राहुरी में किसानों की हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है.