महाराष्ट्र: इस जोड़े ने 21 साल पहले कौमार्य परीक्षण परंपरा को दिखाया था ठेंगा

महाराष्ट्र: इस जोड़े ने 21 साल पहले कौमार्य परीक्षण परंपरा को दिखाया था ठेंगा

घर आने वाली नई नवेली दुल्हनों का वर्जिनिटी टेस्ट, ये बात कुछ लोगों को चौंकाएंगी की आज के जमाने में भी क्या ऐसे टेस्ट होते हैं और क्या ये सच भी होते हैं। महाराष्ट्र के खानाबदोश आदिवासी समुदाय कंजरभाट में वर्जिनिटी यानी कौमार्यता की जांच बंद कराए जाने को लेकर मुहिम तो  25 साल के एक नौजवान विवेक तमाइचिकर ने शुरू की है लेकिन इसकी नींव 21 साल पहले ही रखी गई थी।महाराष्ट्र: इस जोड़े ने 21 साल पहले कौमार्य परीक्षण परंपरा को दिखाया था ठेंगा

महाराष्ट्र के एक गांव में कंजरभाट जोड़े ने 21 साल पहले ही अपने समुदाय की इस परंपरा को ठेंगा दिखा दिया था। दोनों ने उस समय कोर्ट मैरिज की थी जिसकी वजह से परिवार ने उन्हें समाज से बाहर कर दिया था। कृष्ण इंद्रेकर और अरुणा इंद्रेकर, नी तमाइचिकर और उनके बेटे को समाज ने बाहर कर दिया था। लेकिन पिछले साल ही पूरे परिवार को समाज ने एकबार फिर स्वीकार कर लिया है। 

इंद्रेकर ने उस समय जो कदम उठाया था उसके परिवार और समाज वाले नाराज होकर उसे घर तक से बाहर कर दिया था। इंद्रेकर ने शादी के दौरान अपनाई जाने वाली परंपराओ का बहिष्कार तो किया ही था वहीं दुल्हन के होने वाले वर्जिनिटी टेस्ट का बहिष्कार किया और कोर्ट में जाकर शादी कर ली थी।

  कंजरभाट समुदाय में भले ही उस जोड़े को समाज से हटा देता है, उन्हें समय समय पर प्रताड़ित भी करता है। शादी के बाद दुल्हनों के वर्जिनिटी टेस्ट पंचायत के सामने होता है। इस दौरान   परिवार को पंचायत को फीस भी देनी होती है। यदि महिला को शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लड नहीं आता तो उसे खोटा माल तक कहा जाता है।   

अरुणा ने बताया कि वहीं वर्जिनिटी टेस्ट के दौरान महिला को अग्निपरीक्षा से गुजरना होता है। इस परीक्षा के दौरान महिला को गर्म कुल्हाड़ी लेकर चलना पड़ता है अगर लड़की का हाथ नहीं जलता है तो उसे शुद्ध माना जाता है। 

कुप्रथा के खिलाफ कंजरभाट समुदाय ने मोर्चा खोल रखा है

अगर लड़की इस परीक्षा में जल जाती है जो कि अक्सर ही होता है कि वो जल जाती है तब उसके परिवार को भी दंड दिया जाता है।  इस समुदाय में लड़कियों को पढ़ने की अनुमति भी नहीं है। जैसे ही लड़की 14 साल की होती है उसके परिवार वाले लड़का ढ़ूंढने लग जाते हैं और 18 साल का होने तक उसकी शादी कर दी जाती है।

लड़कियों को इसलिए नहीं पढ़ाया जाता है कि अगर लड़की पढ़ने जाएगी तो उसकी दोस्ती लड़के से हो जाएगी और उसकी वर्जिनिटी खत्म हो जाती है। अरुणा कोल्हापुर शहर से 50 किलोमीटर दूर राधनागारी ताल्लुका की रहने वाली हैं। वह कहती हैं कि हम भाग्यशाली थे कि हमारा परिवार समुदाय से अलग रहा और हम अपने बच्चों को अलग सीख दे पाए।  

लेकिन अब कंजरभाट समुदाय में शादी की रात पर लड़की के कुवांरी होने की जांच होने वाली कुप्रथा के खिलाफ कंजरभाट समुदाय ने मोर्चा खोल रखा है। इस मोर्चे की शुरुआत ऐसी लड़कियों ने किया है जो खुद इस कुप्रथा का शिकार बन चुकी है। जिसके बाद इस समुदाय ने लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए स्टॉप द वी रिचुअल नाम से व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया है। 

ग्रुप के 3 सदस्यों की कंजरभाट समुदाय के लोगों ने कथित तौर पर पिटाई की गई। वहीं इस मामले में 40 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है जबकि 2 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया।इस ग्रुप में 60 सदस्य हैं जिनमें आधी लड़किया हैं। ये लोग मिलकर समुदाय में वर्जिनिटी टेस्ट की परंपरा को खत्म करने की कोशिश करते हैं।

ये जोड़े की निजता के अधिकार का हनन है। जिस तरह ये किया जाता है, वो बहुत क्रूर है। शादी को पूरी करने के लिए कमरे के भीतर भेजने से पहले दूल्हे को ‘शिक्षित’ बनाने के लिए पॉर्नोग्राफी दिखाने के अलावा शराब भी पिलाई जाती है। अगली सुबह अभद्र तरीके से ये सवाल किया जाता है कि क्या आपकी पत्नी पवित्र है या नहीं।’

ऐसे मामलों में अपनी बात के लिए खड़ा होने वालों को सामाजिक दवाब का सामना करना पड़ता है। इस ग्रुप के कुछ लोगों पर हाल ही में पुणे की एक शादी में विरोध करने पर मेहमान हमला तक कर देते हैं। इस ग्रुप के सदस्यों को पंचायत कई बार चेतावनी दे चुका है। इसमें समाजिक बहिष्कार जैसी धमकियां भी शामिल हैं।

 
 

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