मध्य प्रदेश में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं बारिश शुरू होने पर भीग कर हों सकता है खराब

मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में मानसून आने के बाद भी अब तक पांच लाख टन गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा है। गेहूं के परिवहन में सर्वाधिक पीछे इंदौर और उज्जैन जिले हैं। सिवनी जिले में परिवहन की सही व्यवस्था नहीं कर पाने के कारण कलेक्टर ने एक जिला विपणन अधिकारी की सेवाएं समाप्त कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है। आशंका है कि मध्य प्रदेश में लगभग 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं झमाझम बारिश का दौर शुरू होने पर भीग कर खराब हो सकता है।

कई जिलों में भंडारण की जगह नहीं सूत्रों के मुताबिक इंदौर जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदा गया एक लाख टन से ज्यादा गेहूं अब भी खुले आसमान के नीचे पड़ा है। सरकार के पास पहुंचे आंकड़े बताते हैं कि संभागीय मुख्यालय उज्जैन में भी इंदौर से दोगुना यानी दो लाख टन गेहूं का परिवहन नहीं हो पाया है। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक यहां के सारे गोडाउन की क्षमता खत्म हो चुकी है। ऐसे हालात में प्रशासन के सामने भंडारण की चुनौती है। इसी तरह सीहोर-राजगढ़ जिले में 30-30 हजार टन और विदिशा, देवास, शाजापुर, आगर, धार में 12-12 हजार टन गेहूं अब भी आसमान के नीचे पड़ा है। सिवनी में परिवहन व्यवस्था नहीं सिवनी जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं के परिवहन की व्यवस्था समय पर नहीं की गई। इस कारण बड़ी मात्रा में गेहूं खराब हो गया

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कलेक्टर राहुल हरिदास फटिंग ने सरकार को भेजी जांच रिपोर्ट में बताया कि जिला विपणन अधिकारी हीरेंद्र रघुवंशी ने गेहूं खरीद बंद हो जाने के बाद भी न तो भंडारण के कोई प्रयास किए और न ही परिवहन नहीं करने वाले ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की। यहां 26 हजार टन गेहूं का परिवहन नहीं होने से भीग गया। इसकी कीमत लगभग 52 करोड़ रुपये आंकी गई है।

भंडारण समस्या का निदान किया

उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि जिले में इस बार सात लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। यह अब तक की खरीद का रिकॉर्ड है। जिले में रिकॉर्ड उपार्जन के कारण गेहूं के भंडारण में समस्या आ गई थी, जिसका निदान कर लिया गया है। खुले मैदानों में कैप बनाकर गेहूं को रखा जा रहा है। 1.10 लाख टन गेहूं को रैक से बाहर भेजा जा रहा है।

इंदौर संभाग में 1.19 लाख टन गेहूं खुले में पड़ा

इंदौर संभाग के आठ जिलों में इस साल कुल 11 लाख 73 हजार टन गेहूं खरीदा गया है। इसमें से 1.19 लाख टन अब भी खुले में पड़ा है। इसकी वजह गोदाम, हम्माल और ट्रकों की कमी है। इस कारण खरीदी खत्म होने के एक पखवाड़े बाद भी कई गांवों और खरीद केंद्रों से गेहूं गोदामों तक नहीं पहुंचाया जा सका। अकेले इंदौर जिले में 1 लाख 9 हजार टन गेहूं उठाया जाना बाकी है। नोडल अधिकारी और अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने बताया कि ट्रकों का अधिग्रहण कर गेहूं उठाया जा रहा है। कुछ ही दिन में गेहूं सुरक्षित गोदामों में पहुंचा दिया जाएगा।

इंदौर-उज्जैन में तो 12 जून तक खरीद ही चली है। दोनों जिलों में सात से आठ लाख टन की रिकॉर्ड खरीद हुई है। इस कारण स्थानीय स्तर पर भंडारण की स्थिति नहीं बची है। वहां के गेहूं को मैरिज हॉल, स्कूल भवन जैसे सुरक्षित स्थान पर रखा जा रहा है, ताकि बारिश में भीगने से बच सकें। कैप भी बना रहे हैं। आसपास के जिलों में भी परिवहन किया जा रहा है। कोशिश है कि गेहूं पूरी तरह सुरक्षित रहे।

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