पिछले साल अगस्त में अपनी 75 साल की उम्र का हवाला देते हुए यूपी के वित्तमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद राजेश अग्रवाल ने जिस तरह अपनी राजनीतिक सक्रियता से किनारा करके खुद को घर की हदों के अंदर सीमित कर लिया था, उससे अनुमान लगाया जाने लगा था कि उनकी सियासी पारी बस यहीं तक थी लेकिन इन 13 महीनों में भी अंदर ही अंदर कुछ और ही चलता रहा।
शनिवार को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए जाने के बाद खुलासा हुआ कि उन्हें तो मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने की बात चल रही थी लेकिन अचानक उन्हें पार्टी संगठन में कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी गई।
राजेश अग्रवाल का अचानक कद बढ़ाए जाने के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में उनके संपर्कों की भूमिका मानी जा रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पिछले साल वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी यूपी की सरकार के साथ पार्टी संगठन से भी दूरियां बढ़ती रहीं लेकिन दूसरी और केंद्रीय संगठन से संपर्क बढ़ता रहा।
कुछ समय पहले ही केंद्रीय स्तर से उन्हें नई जिम्मेदारी देने की पहल हुई तो उन्होंने फिर अपनी उम्र का हवाला देते हुए कोई ऐसी जिम्मेदारी देने का आग्रह किया जिसमें उन्हें ज्यादा भागदौड़ न करनी पड़े। इसके बाद ही उन्हें मध्यप्रदेश में खाली हुआ राज्यपाल का पद देने की बात शुरू हुई थी।
बताया जा रहा है कि शनिवार सुबह तक यह तय था कि वह मध्यप्रदेश में राज्यपाल बनाए जाएंगे लेकिन अचानक उन्हें राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बना दिया गया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पीएमओ से संबद्ध राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से सीधे प्रधानमंत्री को इस बारे में सलाह दी गई थी।
दोपहर को जिस वक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई, राजेश अग्रवाल अपने आवास पर सो रहे थे। उन्हें जगाकर बताया गया कि वह राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बन गए हैं। राजेश अग्रवाल के मुताबिक उन्हें इस सूचना पर यकीन ही नहीं हुआ क्योंकि मध्यप्रदेश उनका राज्यपाल बनना लगभग तय हो चुका था
कुछ ही देर में पार्टी कार्यालय से भी उनके पास फोन कॉल आने लगीं। शाम को वह बड़ा बाग में श्री हनुमान मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। अमर उजाला से बातचीत के दौरान भावुक हुए राजेश अग्रवाल ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी में इतना महत्वपूर्ण पद पाने के पीछे बरेली की जनता का विश्वास ही है। जनता ने ही उन्हें 36 साल सेवा करने का मौका दिया।