मध्यप्रदेश के भोपाल का बहुचर्चित हनी ट्रैप का मामला काफी चर्चा में रहा है। वहीं मामले की जांच के लिए गठित हुई एसआईटी के चीफ स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। जाते-जाते राजेंन्द्र कुमार एक बंद लिफाफा हाईकोर्ट को सौंप गए हैं। जिसमें उन 40 ‘शौकीनों’ के नाम हैं जो हनीट्रैप मामले से जुड़े हैं। जिसमें एक पूर्व मंत्री सहित कई बड़े अफसर, दो रिटायर्ड एडीशनल चीफ सेक्रेट्री और कई मौजूदा अफसर शामिल हैं।
प्रदेश के हाई प्रोफाइल हनीट्रैप मामले की जांच कर रहे एसआईटी चीफ बदले जाएंगे। राजेंद्र कुमार 31 को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें एक्सटेंशन दिया जाए या नहीं ये हाईकोर्ट ही तय करेगी, लेकिन उन्होंने रिटायरमेंट से पहले कोर्ट को एक लिफाफा सौंपा है। जिसके बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई है। पुलिस मुख्यालय से लेकर मंत्रालय तक में इन नामों को लेकर चर्चा बनी हुई है।
आपको बता दें कि इन नामों में कई राजनेता और आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम शामिल हैं। लेकिन अब हाईकोर्ट तय करेगा कि इन नामों को लेकर आगे कि कार्रवाई व जांच किस तरह करनी है। यदि इन नामों की जांच की जाती है तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। जो प्रदेश में हलचल मचा देंगे।
बता दें कि हनीट्रैप मामले की जांच के लिए एक एसआईटी टीम का गठन किया गया था। जिसमें कई चीफ बदलने के बाद राजेंद्र कुमार को ये ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी। अब वो 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में एसआईटी के नए चीफ का नाम हाईकोर्ट तय करेगी। संभावना है कि कोर्ट एसआईटी के सदस्य एडीजी मिलिंद कानसकर या सरकार की सिफारिश पर स्पेशल डीजी अरुणा मोहन राव को चीफ की जिम्मेदारी सौंप सकती है।
प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा बनाई गई एसआईटी का चीफ सबसे पहले आईजी डी. श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था। 24 घंटे में ही सरकार ने वर्मा की जगह एडीजी संजीव शर्मा को इसकी कमान सौंप दी। संजीव शर्मा के नेतृत्व में जांच आगे बढ़ पाती उससे पहले ही सरकार ने राजेंद्र कुमार को एसआईटी चीफ बना दिया था। बार-बार एसआईटी चीफ बदले जाने पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि बिना अनुमति के एसआईटी में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।