मणिपुर में पूजा स्थलों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त!

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मणिपुर सरकार से पूजा स्थलों को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में सार्वजनिक पूजा स्थलों को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति को अवगत कराए। पीठ ने स्पष्ट किया कि इनमें सभी धार्मिक संप्रदाय शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मणिपुर सरकार से पूजा स्थलों को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में सार्वजनिक पूजा स्थलों को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति को अवगत कराए।

सुप्रीम कोर्ट ने पैनल किया नियुक्त
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। इस पीठ में सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। पीठ ने पूजा स्थलों की बहाली के मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि राज्य सरकार जातीय संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त धार्मिक संरचनाओं की पहचान करें और दो सप्ताह के भीतर पैनल को रिपोर्ट सौंपे।

पूजा स्थलों की सुरक्षा को लेकर मांगा गया जवाब
पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी संरचनाओं की पहचान में सभी धार्मिक संप्रदाय शामिल होंगे। उन्होंने कहा, मणिपुर सरकार सार्वजनिक पूजा स्थलों को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों से समिति को अवगत कराएगी।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने समिति को एक व्यापक प्रस्ताव तैयार करने की अनुमति दी। इस प्रस्ताव में मई के बाद से जातीय हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए सार्वजनिक पूजा स्थलों की बहाली के संबंध में आगे की तैयारी को लेकर विवरण शामिल किए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर
बता दें कि मणिपुर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं। इनमें राहत और पुनर्वास के उपायों के अलावा हिंसा के मामलों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग शामिल हैं।

क्यों भड़की थी मणिपुर में हिंसा?
बता दें कि मई में उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद मणिपुर में अराजकता और अनियंत्रित हिंसा भड़क उठी थी। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था।

उच्च न्यायालय के इस निर्देश के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस हिंसा की शुरुआत तीन मई से हुई थी और इसमें अब तक 170 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही सैकड़ों अन्य लोग घायल हुए।

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