साल 2012 तक छत्तीसगढ़ का दुर्ग जिला मलेरिया प्रभावित जिलों की सूची में ‘अति संवेदनशील’ के रूप में दर्ज था। वहीं 2014 में देशभर में दर्ज मलेरिया के कुल मामलों का 13 फीसद केवल छत्तीसगढ़ के नाम था। लेकिन साल 2015 में दुर्ग से सारे मच्छर अचानक गायब हो गए। जिस जिले को मलेरिया मुक्त बता मच्छरों की रोकथाम के सभी उपाय सरकार ने बंद कर दिए। जुलाई, 2018 से अब तक दुर्ग में डेंगू से 41 मौतें हो चुकी हैं।
कहां से आ गए मच्छर
दरअसल, 2012 में हुए दुर्ग जिले के विभाजन को मलेरिया मुक्ति का आधार मान 2015 से मच्छरों की रोकथाम के सभी उपाय बंद कर दिए गए। तर्क दिया गया कि मच्छरों की बहुलता वाले अधिकांश इलाके टूटकर बने दो नए जिलों बालोद और बेमेतरा के हिस्से में चले गए। यह अदूरदर्शिता जानलेवा बन गई।
क्यों हुए हालात बदतर
मई, 2016 में स्थानीय स्वयंसेवी संस्था और जिला स्तरीय स्वास्थ्य समिति की सदस्य जनसुनवाई फाउंडेशन के राज्य समन्वयक संजय कुमार मिश्रा द्वारा मांगी गई सूचना पर जिला मलेरिया विभाग, दुर्ग ने जो जानकारी प्रदान की थी, वह इस पूरी लापरवाही को उजागर करने के लिए पर्याप्त है।
सर्वेक्षण के लिए कोई वाहन उपलब्ध नहीं है। सर्वेक्षण आदि कार्यों के लिए विभाग में नियुक्त 24 कुशल और 121 अद्र्धकुशल कर्मचारियों की सेवा 31 मार्च 2015 से समाप्त कर दी गई। विभाग द्वारा लोगों को स्वत: बचाव करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। संजय ने बताया कि संस्था ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी, जो अब भी पेंडिंग है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal