पहाड़ों में भारी बर्फबारी दो बरातों पर भारी पड़ी। अलग-अलग स्थानों पर दूल्हा-दुल्हन समेत दोनों बरातों में शामिल लोगों को जंगल में ही रात बितानी पड़ी। इनमें से एक बरात सुबह 11 बजे गंतव्य के लिए रवाना हुई, जबकि दूसरी बरात शाम पांच बजे वहां से निकल पाई।
जयपुर (राजस्थान) के पास हसनपुरा गांव से एक बरात 12 दिसंबर को पौड़ी जिले के वीरोंखाल ब्लाक के ग्राम सिसई पहुंची। दुल्हे समेत 50 बराती एक टैक्सी और एक बस में आए थे। इनमें छह महिलाएं, दो बच्चे व चार बुजुर्ग भी शामिल थे। शुक्रवार को बरात दोपहर बाद जयपुर के लिए रवाना हुई। रास्ते में मौसम खराब हो गया। बारिश के बाद कुछ देर में हिमपात शुरू हो गया।
नैनीताल जिले के रामनगर से 80 किलोमीटर दूर खिटोटिया मोड़ के पास भारी बर्फबारी के बीच दोनों वाहन फंस गए। अब न आगे बढ़ सकते थे और न ही पीछे लौटना संभव था। बराती संजय सिंह ने बताया कि दोनों छोर पर इतनी अधिक बर्फ थी कि निकलना मुश्किल हो गया। इस पर उन्होंने आपातकालीन नंबर 112 पर फोन कर हालात की जानकारी दी। इस पर उन्हें बताया गया कि खराब मौसम में जेसीवी मशीन भेजना संभव नहीं हो पा रहा है।
संजय के अनुसार आसपास सिर्फ जंगल था, कोई बस्ती नहीं थी। बेबस बरातियों ने पूरी रात भूखे-प्यासे रहकर वाहनों में ही गुजारी। सुबह संजय कुछ बरातियों के साथ नौ किलोमीटर दूर धूमोकोट कस्बे में पहुंचे और भोजन-पानी पैक कराया। शनिवार सुबह जिला प्रशासन ने दो जेसीवी मशीनें मौके पर भेजीं। दिनभर की मशक्कत के बाद शाम पांच बजे बरात जयपुर रवाना हो पाई।
दूसरा मामला पौड़ी जिले के थैलीसैंण ब्लाक का है। यहां भी देहरादून से आई बरात पोखरी गांव से लौट रही थी। यहां भी बरात के वाहन वेदीखाल नामक स्थान पर बर्फ में फंस गए। बरात में शामिल लोगों ने किसी तरह फोन पर यह सूचना अपने रिश्तेदारों तक पहुंचाई। बरातियों का आरोप है कि उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अफसरों को भी फोन लगाया, लेकिन यह स्विच ऑफ आ रहा था।
थलीसैंण के थानाध्यक्ष संतोष पैथवाल ने बताया कि सूचना मिलने पर उन्होंने पांच सदस्यीय पुलिस टीम मौके लिए रवाना की, लेकिन खराब मौसम और सड़क पर बर्फ होने की वजह से टीम को पहुंचने में समय लग गया। शनिवार सुबह पुलिस टीम ने मार्ग में गिरे पेड़ और बर्फ हटाई। इसके बाद ही बरात देहरादून रवाना हुई।
बुआखाल-रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने व बरातियो के फंसने को डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने गंभीरता से लिया है। इस संबंध में छह अधिकारियों एनएच खंड धुमाकोट के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी पाबौ व बैजरों के अधिशासी अभियंता व क्षेत्रीय सहायक अभियंता से स्पष्टीकरण तलब किया है।
मसूरी के मालरोड पर मध्य कुलड़ी बाजार स्थित होटल रीगल का जर्जर हिस्सा शुक्रवार देर रात भरभरा कर गिर गया। गनीमत रही कि होटल के उक्त हिस्से में पर्यटक नहीं ठहरे थे। वरना जनहानि हो सकती थी। घटना से जफरहॉल मार्ग मलबा आने से बंद हो गया था। समीप के होटल रॉकवुड का रास्ता भी बंद होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। समीपवर्ती क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि उक्त होटल स्वामी ने लीज पर दे रखा है। होटल की दीवारें जर्जर हो चुकी थी, उसके बाद भी होटल की मरम्मत नहीं की गई बल्कि वहां पर पर्यटकों को ठहराना जारी है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। साथ ही होटल के ठीक नीचे दिनभर लोग धूप सेकते हैं। अगर होटल का हिस्सा दिन में गिरा होता तो बड़ी जनहानि हो सकती थी। लोगों की सूचना पर नगर पालिका टीम मौके पर पहुंचीद्ध नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी एमएल शाह तथा नगर कोतवाल विद्याभूषण नेगी ने भी मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया।
जिन परिवारों में शादी-विवाह का आयोजन था, वे शायद इस बार के मौसम को शायद ही भुला पाएं। कई जगह बर्फबारी में बरातें फंसी तो कहीं दुल्हन के परिजन बरात का इंतजार करते रह गए। ऐसा ही मामला चमोली जिले के जोशीमठ के रैणी गांव का है। यहां शुक्रवार को चली बरात मुहूर्त निकलने के बाद दूसरे दिन गांव पहुंची।
इस दौरान बरातियों को 30 किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ी। यह अलग बात है कि शनिवार को विवाह के सभी कार्यक्रम संपन्न कराए गए। तेरह दिसंबर को चमोली जिले के घाट विकासखंड के बिजारी गांव से एक बरात रैणी गांव के लिए रवाना हुई। घाट से रैणी गांव की दूरी करीब 100 किलोमीटर है।
दूल्हा बने योगेंद्र सिंह ने बताया कि इस बीच बर्फबारी शुरू हो गई, लेकिन वे किसी तरह जोशीमठ के पास पैनी गांव तक वाहनों से पहुंच गए। यहां बर्फबारी इतनी ज्यादा थी कि आगे बढ़ना संभव नहीं हो पाया। पैनी गांव के लोगों ने न केवल बरातियों का स्वागत किया बल्कि उनके ठहरने की भी व्यवस्था की। शनिवार की सुबह बराती पैदल ही 30 किलोमीटर का सफर कर रैणी गांव पहुंचे।
योगेंद्र के अनुसार रैणी में मोबाइल के सिग्नल नहीं हैं। ऐसे में दुल्हन के परिजनों को सूचना देना संभव नहीं हो पाया। दुल्हन के परिजन भी गांव में परेशान थे, लेकिन बरात पहुंचने पर सबने सुकून की सांस ली। फिलहाल मार्ग नहीं खुला है और बरात रैणी गांव में ही है।