दुनियाभर में कई ऐसी चीजें हैं जो दिखने में बहुत खूबसूरत है। इसी लिस्ट में शामिल है नीलकुरिंजी के फूल। जी हाँ, यह फूल केरल के इडुक्की जिला में मिलते हैं और इस बार एक बार फिर से यह जिला नीलकुरिंजी के फूलों से गुलजार हो गया है। आप सभी को बता दें कि इडुक्की जिले के संथानपारा पंचायत के अंतर्गत आने वाली शालोम पहाड़ी इन दिनों नीलकुरिंजी फूलों से सजी नजर आ रही है। अगर आपको लग रहा है नीलकुरिंजी एक साधारण फूल है तो हम आपको बता दें कि यह कोई साधारण फूल नहीं बल्कि एक बेहद ही दुर्लभ फूल है। जी दरअसल इन फूलों को देखने के लिए 12 साल का इंतजार करना पड़ता है।
आपको जानने के बाद हैरानी होगी कि नीलकुरिंजी एक मोनोकार्पिक पौधा होता है जो खिलने के बाद जल्दी ही मुरझा भी जाता है। यह एक बार मुरझाने के बाद दोबारा खिलने में 12 साल का समय लेता है। हमेशा नीलकुरिंजी अगस्त से लेकर अक्टूबर तक ही खिलते हैं और अब इस साल खिलने के बाद अब अगली बार इसकी खूबसूरती साल 2033 में देखने को मिलेगी। यह ऐसे फूल है जो 12 साल में केवल और केवल एक बार खिलते हैं। नीलकुरिंजी की सबसे खास बात यह है कि ये सिर्फ भारत में ही खिलते हैं। हम सभी जानते हैं कि भारत अनोखा देश है और इन फूलों के चलते इसे और अनोखा कहा जा सकता है।
नीलकुरिंजी मुख्यतः केरल में मिलते हैं। वैसे केरल के साथ-साथ तमिलनाडु में भी यह देखने के लिए मिल जाते है। दुनियाभर के कई सैलानी नीलकुरिंजी को देखने के लिए लाखों रुपये खर्च करके केरल आते हैं हालाँकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है।