भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना (PLA) की घुसपैठ की कोशिशों और फायरिंग के बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. अमेरिका (US) ने जहां खुलकर भारत का पक्ष लिया है वहीं रूस (Russia) ने भी अब इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है. चीन और रूस में कम्युनिस्ट शासन होने के बावजूद रूस ने गलवान वैली (Galwan Valley) हिंसक झड़प के बाद भी भारत का ही साथ दिया था. इस बार भी रूस ने उम्मीद जताई है कि भारत और चीन बातचीत के जरिये सीमा विवाद सुलझा लेंगे.
गलवान वैली संघर्ष के बाद चीन ने रूस से आग्रह किया था कि वह भारत को होने वाली हथियारों की डिलेवरी को कुछ वक़्त के लिए टाल दे. हालांकि रूस ने न सिर्फ रिपब्लिक डे परेड के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बुलाया बल्कि एंटी मिसाइल सिस्टम S-400 की डिलेवरी भी समय पर करने का वादा किया. अब खबर आ रही है कि भारत-रूस के बीच AK-47 273 राइफल्स का सौदा भी फ़ाइनल हो गया है. कोरोना के खिलाफ जंग में भी रूस ने भारत का साथ निभाया है और वैक्सीन रिसर्च का डेटा शेयर किया है, साथ ही वैक्सीन का प्रोडक्शन भारत में करने की बात कही है.
बातचीत से ही सुलझेगा विवाद
रूस ने मंगलवार को उम्मीद जतायी कि भारत और चीन बातचीत के जरिये सीमा विवाद सुलझा लेंगे. साथ ही उसने दोनों देशों की रजामंदी के बिना मध्यस्थता कराने की बात से भी इनकार कर दिया. भारत में रूसी दूतावास के उप प्रमुख रोमन बबुश्किन ने कहा कि उनकी सरकार बातचीत के जरिये पूर्वी लद्दाख में तनाव कम होते देखना चाहती है. बबुश्किन ने पत्रकारों के साथ ऑनलाइन बातचीत में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारत और चीन बातचीत के जरिये सीमा विवाद सुलझा लेंगे.’ उन्होंने यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ताजा झड़प के बाद बढ़े तनाव के एक दिन बाद की है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर आठ देशों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिये मंगलवार को चार दिवसीय रूस दौरे पर गए हैं. इस दौरान वह बृहस्पतिवार को बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात कर सकते हैं. बबुश्किन ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में रूस द्वारा मध्यस्थ की भूमिका निभाने की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि जब तक दोनों देश नहीं चाहते तब तक ऐसा नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, ‘हम दोनों देशों के बीच विवादों के समाधान की प्रक्रिया में शामिल नहीं है. हम इसके लिये सकारात्मक माहौल बनाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं.
SEO बैठक में रूस पहुंचे जयशंकर
उधर विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिये रूस के चार दिनों के दौरे पर मंगलवार को मॉस्को पहुंच गये. भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया है, ‘विदेश मंत्री एस. जयशंकर मास्को पहुंच गए हैं, राजदूत और रूसी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनकी अगवानी की.’ उनका यह दौरा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के रूस की राजधानी की यात्रा करने के महज कुछ ही दिनों बाद हो रहा है. राजनाथ, आठ सदस्यीय एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिये यहां आये थे. एससीओ के सदस्य देशों में, भारत और चीन भी शामिल हैं.
जयशंकर मास्को में ठहरने के दौरान एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक में शामिल होंगे. यह परिषद की तीसरी बैठक होगी जिसमें भारत पूर्ण सदस्य के तौर पर सम्मिलित होगा. एससीओ बैठक से अलग विदेश मंत्री के अपनी चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बृहस्पतिवार को द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा पर पर तनाव बढ़ने के बीच उनकी बैठक होने की संभावना है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही के साथ यहां दो घंटे से अधिक समय तक बैठक की थी.