पीएम मोदी ने सबसे पहले नए साल की शुभकामनाएं दीं. नई ऊर्जा, नए संकल्पों के साथ, तेज गति से आगे बढ़ने की शुरुआत है. गरीबों, मध्य वर्ग के लिए घर बनाने की नई तकनीक हमे मिल रही है. इसे तकनीकी भाषा में लाइट हाउस प्रोजेक्ट कहते हैं. ये प्रकाश स्तंभ की तरह हैं. ये देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा देंगे.
मध्यम वर्ग को होम लोन पर सरकार छूट देती है. इसके लिए 25 हजार करोड़ का विशेष फंड है. लोगों के पास अब रेरा जैसे कानून की शक्ति भी है. लोगों को अब भरोसा आया कि जिस प्रोजेक्ट में वे पैसा लगा रहे हैं वह डूबेगा नहीं. हमने सस्ते घरों पर टैक्स कम किया. हमने सस्तें घरों पर टैक्स को 1 प्रतिशत किया.
गांवों में बीते वर्षों में 2 करोड़ घर बनाए. शहरों में नई तकनीक से घर निर्माण और डिलिवरी दोनों में तेजी आएगी. हमें तेज गति से चलना ही होगा. तेज गति से फैसले लेने होंगे.
कोरोना ने श्रमिकों का सम्मान लौटाया. जब वे लोग वापस गए तो उन्हें शहर वालों ने हाथ जोड़कर वापस बुलाया, क्योंकि यहां काम अटक गए थे. बीते सालों में कई बदलाव किए गए. कंस्ट्रक्शन से जुड़ी परमिशन में रैंकिंग में सुधार हुआ है. अब हम 27वें नंबर पर हैं.
घर सिर्फ दरवाजा, चार दिवार नहीं. यह सम्मान, सुरक्षित भविष्य का द्वार है. जीवन के विस्तार का द्वार खुलता है. समाज, बिरादरी में नए सम्मान का द्वार खुलता है. घर की वह चाबी लोगों के प्रगति, बचत का द्वार खोलता है. वह चाबी भले दरवाजे की चाबी होती है, लेकिन यह चाबी दिमाग का ताला खोल देता है, जिससे नए सपने पनपते हैं.
बीतों वर्षों में अपने घरों को लेकर लोगों का भरोसा टूटता जा रहा था. पैसे देने के बाद भी घर कागजों पर ही रहता था, मिलता नहीं था. लोगों को भरोसा नहीं था कि लोग घर खरीद पाएंगे. वजह बढ़ती कीमत और कानून पर भरोसे में कमी था. बीते 6 सालों में जो कदम उठाए गए उसने एक सामान्य आदमी को यह भरोसा लौटाया है कि उसका अपना घर हो सकता है.
12 महीनों में हर शहर में हजार घर बनाएं जाएंगे. प्रति दिन 3 घर बनेंगे. अगली जनवरी तक इस काम में सफलता पाने का इरादा है. इन पायलट्स प्रोजेक्ट को यूनिवर्सिटी के छात्र जाकर देखें. फिर भारत की जरूरत के हिसाब से उसमें नयापन लाएं.
अभी नई तकनीकों का इस्तेमाल एक-एक शहरों में हो रहा है. बाद में इसे देश भर में फैलाया जाएगा. इंदौर वाली तकनीक में ईंट-गारा नहीं होगा. राजकोट में टनल वाली मोनोलीथ तकनीक का इस्तेमाल होगा. चेन्नई में अमेरिका की प्री कास्ट तकनीक, रांची में जर्मनी के 3डी तकनीक से घर बनाएंगे. हर कमरा अलग से बनेगा, फिर लेगो ब्लोग के घर की तरह इन्हें जोड़ा जाएगा. अगरतला में भूंकप का खतरा देखते हुए तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. लखनऊ में कनाडा की तकनीक, पलास्टर की जरूरत नहीं, घर तेजी से बनेंगे.
एक समय में आवास योजनाएं केंद्र की प्राथमिकता में नहीं थी. सरकार घर निर्माण, क्वालिटी पर नहीं जाती थी. अब देश ने अलग मार्ग अपनाया है. हमने इसको बदलने की ठानी. गरीब को लंबे समय तक ठीक रहने वाले घर मिलने चाहिए. तेजी से बनने चाहिए. घर चुस्त और दुरुस्त होने चाहिए. दुनियाभर की 50 से ज्यादा तकनीक ने भारत के ग्लोबल चैलेंज में हिस्सा लिया था. लाइट हाउस प्रोजेक्ट नई तकनीक से बनेंगे. घर बनने का टाइम कम होगा. गरीबों को ज्यादा अच्छे घर मिलेंगे.