प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दुनिया में भारत की धमक साफ नजर आएगी। अमेरिका सहित विभिन्न देशों के प्रमुखों के साथ मोदी की मुलाकात में भारत की कूटनीतिक धमक कश्मीर राग अलाप रहे पड़ोसी पाकिस्तान के लिए किसी झटके से कम नहीं होगी। भारत ने खास रणनीति के तहत तय किया है कि यूएन में अनुच्छेद 370 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई चर्चा नहीं करेंगे।

पाकिस्तान ने कश्मीर राग अलापने की पूरी योजना बनाई है। इसलिए आतंकवाद और मानवाधिकारों के मुद्दे पर भारत की ओर से पाकिस्तान को आईना जरूर दिखाया जाएगा। लेकिन भारत की भूमिका वैश्विक संदर्भ में व्यापक भूमिका पर केंद्रित होगी।
कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी की यात्रा की पूरी रूपरेखा इस तरह से बनाई गई है जिसमें उसकी वैश्विक भूमिका का विस्तार साफ नजर आएगा। खासतौर व्यापारिक रिश्तों को लेकर मोदी काफी संजीदा है।
पूरा फोकस अर्थव्यवस्था के लिहाज से अहम देशों से बातचीत पर
प्रधानमंत्री मोदी पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति के सामने मध्यस्थता की किसी संभावना से साफ इंकार कर चुके हैं। इसलिए कुछ नया होने की उम्मीद किसी को भी नहीं करना चाहिए। भारत का पूरा फोकस अर्थव्यवस्था के लिहाज से देशों और कंपनियों से सार्थक बातचीत पर है और उम्मीद करना चाहिए कि वह अपने मिशन में कामयाब होगा।
उम्मीद से ज्यादा मजबूत हो रहे अमेरिका-भारत के रिश्ते
अमेरिका की प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के अलावा अन्य क्षेत्रों में काम कर रही लगभग 45 कंपनियों से पीएम मोदी की प्रस्तावित मुलाकात साफ संकेत है कि भारत-अमेरिका रिश्ते उम्मीद से कहीं ज्यादा मजबूती की दिशा में बढ़ रहे हैं। मोदी की यात्रा के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका की यात्रा पर संबंधों को विस्तार देने के लिए न्यूयार्क से वाशिंगटन चले जाएंगे।
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