भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर है जिनका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है. हालांकि देश में मंदिरों की कोई कमी नहीं है. यहां कोने-कोने में कोई न कोई मंदिर आपको देखने को मिल ही जाएंगे. इनमें से कई मंदिरों को लोग चमत्कारी और रहस्यमय भी मानते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके रहस्य है हैरान कर देने वाले. इस मंदिर के बारें में ऐसा कहा जाता है कि यहां पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है. असल में यह एक शिव मंदिर है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है.
बता दें की यह मंदिर देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है, जिसे जटोली शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है. मंदिर का भवन निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना है, जो देखते ही बनता है. यहां की मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ वक्त के लिए रहे थे. बाद में 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी. हालांकि 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य रूका नहीं बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी.
दरअसल, इस मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल का वक्त लगा. करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात तो ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ है. यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का वक्त लगा है. इस मंदिर में हर तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है. इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसे बेहद ही खास बना देता है.
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