चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को भांपते हुए भारत ने भी तकनीकी स्तर पर अपने को मजबूत करना शुरू कर दिया है। यह तकनीक युद्ध में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) के इस्तेमाल की है। इस परियोजना का मकसद सुरक्षा बलों को मानव रहित टैंक, पोत, विमान और रोबॉटिक हथियारों से लैस करना है। यदि यह योजना सफल हो गई तो निश्चित तौर पर आने वाला कल अलग होगा, जहां युद्ध के मैदान में जवान कम होंगे लेकिन रॉबोटिक मशीन ज्यादा होंगी। इस तकनीक से भारत पड़ोसी देशों से लगती अपनी सीमा की सुरक्षा को और मजबूत कर सकेगा। इतना ही नहीं युद्ध के मैदान में भी इस तकनीक से भारत को बढ़त मिलेगी। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत को लगातार आंख दिखा रहे चीन से मुकाबले के लिए भारत जल्द ही पूरी तरह से तैयार हो जाएगा और वह हमें आंख नहीं दिखा सकेगा।
आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है। यहां पर ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि अमेरिका मानव रहित ड्रोन के सहारे अफगानिस्तान और उत्त-पश्चिमी पाकिस्तान में आतंकियों के गुप्त ठिकानों को निशाना बनाता रहा है। मानवरहित ड्रोन आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की मदद से काम करते हैं। यह इस तकनीक का सटीक उदाहरण भी है। दरअसल, ड्रोन की कमांड कंट्रोल रूम में बैठे व्यक्ति के हाथों में होती है जो उसको नियंत्रित करता है और युद्ध क्षेत्र से दूर होता है। सैटेलाइट की मदद से यह दोनों आपस में जुड़े रहते हैं। ड्रोन में लगे कैमरे से और उसमें लगे कंप्यूटर से कंट्रोल रूम में बैठे व्यक्ति को उस जगह की और ड्रोन की पूरी जानकारी मिलती रही है। इसके अलावा ड्रोन में लगा कैमरा दिन और रात के समय में हाई रिजोल्यूशन वाली सटीक तस्वीरें लेने में सहायक होता है जिसका उपयोग आगे भी किया जा सकता है। कंट्रोल रूम में बैठा व्यक्ति सही समय और सटीक निशाना मिलने पर दुश्मन पर वार करता है। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसकी वजह से जवानों के जोखिम को कम किया जा सकेगा।