भारतीय वायुसेना के बेड़े में अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए चार चिनूक हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर ( Chinook heavy-lift helicopters) शामिल हो गए हैं। सोमवार को चार हेलीकॉप्टर चंडीगढ़ स्थित वायुसेना स्टेशन पहुंचे। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि चिनूक को भारत के विशेष जरूरतों के हिसाब से वायुसेना में शामिल किया गया है। इसकी खासियत है यह है कि यह न केवल दिन में, बल्कि रात में भी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। चिनूक गेम चेंजर साबित होगा। उसी तरीके से जैसे राफेल लड़ाकू बेड़े में शामिल होने जा रहा है।
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि जब Rafale (राफेल) आएगा, तो हमारी वायु रक्षा क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। इससे पाकिस्तान नियंत्रण रेखा या सीमा पर आने से गुरेज करेगा। हमारे पास एेसी क्षमता होगी, जिसका पाकिस्तान के पास कोई जवाब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वी एरिया के लिए दिन्जन (असम) में एक और इकाई बनाई जाएगी।
भारतीय वायुसेना ने 15 चिनूक हेलीकॉप्टर को हासिल करने का आर्डर दिया था जिसमें से पहला चिनूक हेलीकॉप्टर इस साल फरवरी में आया था। इन हेलीकॉप्टर के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से पाकिस्तानी सीमा पर एयरफोर्स को और ताकत मिलेगी।
मानवीय सहायता और लड़ाकू भूमिका में काम आएगा
सीएच-47 चिनूक एक एडवांस्ड मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर है, जो भारतीय वायुसेना को बेजोड़ सामरिक महत्व की हेवी लिफ्ट क्षमता प्रदान करता है। यह मानवीय सहायता और लड़ाकू भूमिका में काम आएगा। उंचाई वाले इलाकों में भारी वजन के सैनिक साज सामान के परिवहन में इस हेलीकॉप्टर की अहम भूमिका होगी। भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब तक रूसी मूल के भारी वजन उठाने वाले हेलीकॉप्टर ही रहे हैं, लेकिन पहली बार वायुसेना को अमेरिका निर्मित हेलीकॉप्टर मिले हैं।
चिनूक बहुउद्देशीय, वर्टिकल लिफ्ट प्लेटफॉर्म हेलीकॉप्टर है जिसका इस्तेमाल सैनिकों, हथियारों, उपकरण और ईधन ढोने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल मानवीय और आपदा राहत अभियानों में भी किया जाता है। राहत सामग्री पहुंचाने और बड़ी संख्या में लोगों को बचाने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम
इसमें पूरी तरह एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है। इसके अलावा इसमें कामन एविएशन आर्किटेक्चर काकपिट और एडवांस्ड काकपिट प्रबंध विशेषताएं हैं। इस हेलीकॉप्टर का दुनिया के कई भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में काफी क्षमता से संचालन होता रहा है। चिनूक हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना के अलावा कई देशों की सेनाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। खासकर भारतीय क्षेत्र में इस हेलीकॉप्टर की विशेष उपयोगिता होगी।
1957 में हुई थी शुरआत
आपको बता दें कि बोइंग CH-47 चिनूक हेलीकॉप्टर डबल इंजन वाला है। इसकी शुरुआत 1957 में हुई थी। 1962 में इसको सेना में शामिल कर लिया गया। इसे बोइंग रोटरक्राफ्ट सिस्टम ने बनाया है। इसका नाम अमेरिकी मूल-निवासी चिनूक से लिया गया है। यह हेलीकॉप्टर करीब 315 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसकी शुरआत से लेकर अब तक कंपनी ने इसमें समय के साथ कुछ बदलाव भी किए हैं। इसके कॉकपिट में बदलाव के साथ-साथ इसके रोटर ब्लैड, एंडवांस्ड फ्लाइट कंंट्रोल सिस्टम समेत कई दूसरे बदलाव कर इसके वजन को कम किया गया। वर्तमान में यह अमेरिका का सबसे तेज हेलीकॉप्टर में से एक है।
इन देशों के पास है चिनूक
फरवरी 2007 में पहली बार नीदरलैंड इस हेलीकॉप्टर का पहला विदेशी खरीददार बना था। उसने CH-47F के 17 हेलीकॉप्टर खरीदे थे। इसके बाद 2009 में कनाडा ने CH-47F के 15 अपग्रेड वर्जन हेलीकॉप्टर खरीदे थे। दिसंबर 2009 में ब्रिटेन ने भी इस हेलीकॉप्टर में अपनी रुचि दिखाई और 24 हेलीकॉप्टर खरीदे। 2010 में आस्ट्रेलिया ने पहले सात और फिर तीन CH-47D हेलीकॉप्टर खरीदे थे।
2016 में सिंगापुर ने 15 हेलीकॉप्टर का ऑर्डर कंपनी को दिया था। हालांकि 1994 से ही सिंगापुर के पास चिनूक हेलीकॉप्टर थे, जिसको CH-47D से बदल दिया गया था। अब तक कुल 26 देशों के पास ये हेलीकॉप्टर मौजूद है। इतना ही नहीं शुरुआत से लेकर अब तक कंपनी इसके करीब 15 वेरिएंट उतार चुकी है। इसमें HC-1B, CH-47A, ACH-47A, CH-47B, CH-47C, CH-47D, MH-47D, MH-47E, CH-47F, MH-47G, CH-47J, HH-47 शामिल हैं।
2015 में हुआ था करार
भारतीय वायुसेना ने 15 चिनूक हेलीकॉप्टर को हासिल करने का आर्डर दिया था, जिसमें से पहला चिनूक हेलीकॉप्टर इस साल फरवरी में आया था। सितंबर 2015 में भारत के बोइंग और अमेरिकी सरकार के बीच 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया गया था। अगस्त 2017 में रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय सेना के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग से 4168 करोड़ रुपये की लागत से छह अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, 15 चिनूक भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर अन्य हथियार प्रणाली खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान की थी।