नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर के अपने सभी मंत्रियों से इस्तीफे ले लिए हैं। सभी इस्तीफे अभी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सत शर्मा के पास हैं। भाजपा की ओर से इसे मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के पास नहीं भेजा गया है। इससे पहले कठुआ के रसाना कांड में आरोपियों के समर्थन में रैली में शामिल होने वाले भाजपा के दो मंत्रियों के इस्तीफे लिए जा चुके हैं। इस्तीफे लिए जाने से भाजपा मंत्रियों में जबरदस्त खलबली है।भाजपा नेतृत्व और संबंधित मंत्री सामूहिक इस्तीफे से इनकार कर रहे हैं लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह खबर सही है। दबी जुबान से भाजपा के कुछ सूत्रों ने बताया कि इस्तीफे मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल के मद्देनजर लिए गए हैं। लेकिन मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफे को पीडीपी पर दबाव बनाने की रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक के बाद पार्टी नेतृत्व ने मंत्रियों से इस्तीफे लिए।
कठुआ कांड, रोहिंग्या और आतंकवाद जैसे कई मुद्दे हैं जिनपर भाजपा और पीडीपी में गहरे मतभेद रहे हैं। मंत्रियों के इस्तीफे के बाद भाजपा नेतृत्व इन मुद्दों पर मुख्यमंत्री महबूबा से दो टूक बात कर सकता है। भाजपा नेतृत्व को इस बात अहसास है कि ढुलमुल नीति के कारण उसके जनाधार पर असर पड़ रहा है। जम्मू के भाजपाई वोटर भाजपा मंत्रियों से सख्त नाराज हैं। इस कारण भाजपा अब रणनीति के तहत हिंदू वोट बैंक से जुड़े मुद्दों पर आक्रामक रुख अपना सकती है।
दिल्ली से जम्मू तक कोई कुछ बोलने का राजी नहीं
दिल्ली से लेकर जम्मू तक के भाजपा नेता इस बारे में कुछ भी खुल के कहने को राजी नहीं। वे सिर्फ ये कह रहे हैं कि इस मसले को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। महबूबा और गवर्नर की मुलाकात के भी वे रूटीन मुलाकात बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह मुलाकात नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण की तारीख तय होने के बाबत हो सकती है। कहा, सरकार पर कोई खतरा नहीं और गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।