कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने कहा कि भाजपा सरकार प्रमुख विपक्षी नेताओं पर पीएसए लगाकर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। भाजपा खासतौर पर कश्मीर में कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने पूर्व नौकरशाह शाह फैसल पर भी पीएसए लगाने पर सवाल उठाए।
मीर ने कहा कि भाजपा देशभर में अपने विपक्षियों पर दबाव बनाने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है। जम्मू-कश्मीर में प्रमुख विपक्षी नेताओं पर पीएसए लगाना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है। भाजपा को इस फार्मूले का कोई लाभ नहीं मिलेगा। जम्मू-कश्मीर की जनता इसे समझ चुकी है।
सरकार पहले गैर दल और अब दलीय आधार पर पंचायती चुनाव करवा रही है। जिससे उसकी मंशा और कथनी में अंतर का पता चलता है। नेशनल कांफ्रेंस के उपप्रधान उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा की गठबंधन सरकार में रही थीं।
बता दें कि पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष शाह फैसल पर भी पीएसए लगा दिया गया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से हिरासत में चल रहे फैसल पर शुक्रवार की रात पीएसए लगाया गया। यह आठवें कश्मीरी नेता हैं, जिन पर पीएसए के तहत कार्रवाई हुई है।
फैसल को पीएसए के लोक व्यवस्था प्रावधान के तहत निरुद्ध किया गया है। इसमें उन्हें बिना किसी मुकदमे के छह महीने तक बंद रखा जा सकता है। फैसल फिलहाल एमएलए हॉस्टल में बंद हैं। अभी यह तय नहीं हो पाया है कि उन्हें यहीं रखा जाएगा या फिर कहीं शिफ्ट किया जाएगा।
फैसल को पिछले साल 13-14 अगस्त की रात में दिल्ली हवाईअड्डे पर इस्तांबुल (टर्की) के लिए उड़ान भरने से पहले रोक लिया गया था। इसके बाद उन्हें श्रीनगर लौटा दिया गया था, जहां से हिरासत में ले लिया गया था। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती के अलावा अली मोहम्मद सागर, सरताज मदनी, हिलाल लोन तथा नईम अख्तर को पीएसए के तहत निरुद्ध किया गया है।
फारूक को सबसे पहले 17 सितंबर को पीएसए के तहत निरुद्ध किया गया था। दिसंबर में तीन महीने के लिए पीएसए और बढ़ा दिया गया। छह फरवरी को उमर व महबूबा की हिरासत की अवधि छह महीने पूरा होने से कुछ घंटे पहले ही दोनों पर पीएसए लगाया गया था।