विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्तासीन हुई भाजपा भले ही इन दिनों विधानसभा की थराली सीट के उपचुनाव में जीत के लिए जुटी हो, लेकिन उसकी असल अग्नि परीक्षा तो ‘छोटी सरकार’ यानी नगर निकायों के चुनाव में होगी। उसके सामने विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन निकायों में दोहराने की चुनौती है तो ये चुनाव प्रदेश सरकार के एक साल के कामकाज पर जनता की मुहर के रूप में भी देखे जाएंगे। 
हालांकि, अभी निकाय प्रशासकों के हवाले हैं और इनके चुनाव की तिथि तय नहीं हुई है। मगर निकायों में परचम लहराने के लिए भाजपा नेतृत्व रणनीति तय करने में जुट गया है। निकाय चुनाव का मसला अभी कोर्ट में चल रहा है। अदालत का फैसला आने के बाद ही इसकी तिथि तय होनी है।
बता दें कि नगर निकायों का कार्यकाल बीती तीन मार्च को खत्म होने के बाद एक्ट के अनुसार चुनाव न हो पाने की दशा में प्रदेश सरकार ने इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया था। इसकी अधिकतम अवधि छह माह की है। साफ है कि आने वाले दिनों में निकाय चुनाव होने हैं।
यही नहीं, भाजपा के सम्मुख दावेदारों की लंबी चौड़ी फौज को देखते हुए प्रत्याशियों का चयन भी कम बड़ी परीक्षा नहीं है। वजह ये कि निकायों का गणित विस चुनाव से एकदम अलग होता है। निकायों में प्रत्याशी का व्यक्तिगत जनाधार और जनता में पैठ खासी मायने रखती है। यही नहीं, अगले साल लोकसभा चुनाव भी हैं।
ऐसे में साफ है कि निकाय चुनाव भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट की तरह हैं। देखने वाली बात होगी कि वह इसमें पास होने के लिए क्या कदम उठाती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक प्रदेश में जनता भाजपा के साथ खड़ी है और निकाय चुनावों में भी भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलेगा। निकाय चुनावों को लेकर हमारी तैयारी पूरी है। सभी निकायों से सभी वर्ग के दावेदारों के नाम आ चुके हैं। चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी और सभी कार्यकर्ता पार्टी की जीत के लिए जुटेंगे।
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