भाजपा कार्यकर्ता: विकास का मंत्र लेकर दलित बस्तियों के बीच जाएंगे

मोदी सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर शनिवार से शुरू होने वाले अभियान के जरिये भाजपा लोकसभा की चुनावी तैयारी में पूरी तरह जुट जाएगी। इनमें सबसे अहम दलित बस्तियों में चलने वाला एक दिवसीय विशेष संपर्क अभियान है। भाजपा विकास के मंत्र से दलित बस्तियों में बसपा का नेटवर्क तोड़ेगी।

सपा-बसपा गठबंधन, गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव में हार और दलित आंदोलन के बाद भाजपा एक बार फिर पूरी मजबूती से दलित समाज को साधने में जुटी है। सांगठनिक दृष्टि से प्रदेश में भाजपा के 1471 मंडल हैं।

मंगलवार को इन सभी मंडलों की एक-एक दलित बस्तियों में भाजपा का जनसंपर्क अभियान चलेगा। ग्राम स्वराज अभियान के दौरान दलित बस्तियों में भोज और रात्रि प्रवास के जरिये रिश्तों को मजबूत करने की पहल हुई थी, लेकिन इस बार समरसता संपर्क के लिए वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा प्रदेश महामंत्री और अनुसूचित मोर्चा के प्रभारी गोविंद नारायण शुक्ल के नेतृत्व में प्रदेश मंत्री अंजुला माहौर और संजय राय को इस अभियान के समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है।

भाजपा ने तय किया है कि दलित बस्तियों में संगठन के वरिष्ठ नेता मोदी सरकार की चार वर्ष की उन योजनाओं को लेकर जाएंगे जिनसे दलितों का सीधा फायदा हुआ है। इसके अलावा डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के लिए मोदी सरकार द्वारा पंचतीर्थ समेत अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी दी जाएगी। मंडल स्तर के संगठन को इस बात के भी निर्देश हैं कि योजनाओं का लाभ जिन पात्रों को नहीं मिल सका है, उनकी सूची तैयार रखें।

भाजपा के लोग पात्रों को योजनाओं का भी लाभ दिलाएंगे। इस तरह विकास के जरिये दलित बस्तियों में भाजपा सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा होगी। गोविंद नारायण शुक्ल का कहना है कि ‘2014 और 2017 के चुनाव में सभी वर्गों ने भाजपा का साथ दिया। सबका साथ-सबका विकास हमारा नारा है और इसी कड़ी में यह कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। 

दलित आंदोलन की धार करेंगे कुंद आरक्षण, संविधान बचाओ समेत तमाम नारों के साथ दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद आंदोलन किया। इस आंदोलन के पहले से ही बहराइच की भाजपा सांसद साध्वी सावित्री बाई फुले, राबर्ट्सगंज के छोटेलाल खरवार, इटावा के अशोक दोहरे, नगीना के सांसद डॉ. यशवंत सिंह समेत कई लोगों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

भाजपा ने ग्राम स्वराज अभियान से लेकर अगले अभियान में दलितों को प्रभावित करने को ताकत लगाई है। साध्वी सावित्री भले अभी तक अपनी पार्टी के विरोध में मुखर हैं, लेकिन नगीना के सांसद यशवंत अब फिर से भाजपा का झंडा लहराने लगे हैं। अन्य विद्रोही भी भाजपा के पक्ष में दिखने लगे हैं। इससे भाजपा को दलित आंदोलन की धार कुंद करने में मदद मिली है।

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