शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आरक्षण के मुद्दे पर प्रतिबद्ध है. नड्डा का यह बयान ऐसे मौके पर आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही कहा था कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. उधर, केंद्रीय मंत्री व लोजपा नेता रामविलास पासवान ने आरक्षण से जुड़े सभी कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग की है, ताकि उसे कानूनी चुनौती नहीं दी जा सके.
अपने बयान में आगे भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने कहा कि, ‘कुछ लोग आरक्षण को लेकर समाज में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. हम आरक्षण के पक्ष में हैं. मोदी सरकार व भाजपा आरक्षण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है. सामाजिक न्याय के प्रति हम वचनबद्ध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार इस संकल्प को दोहराया है. सामाजिक समरसता व सभी को समान अवसर प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है.’
इसके अलावा पासवान ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा सरकारी नौकरी व शिक्षा में सामान्य जाति के लोगों को आर्थिक आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण मौलिक अधिकार भले ही नहीं हो, लेकिन यह संवैधानिक अधिकार जरूर है. उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार पैदा होने वाले विवाद पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति को बीआर आंबेडकर व महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट के तहत आरक्षण प्रदान किया गया था. इसके अलावा पासवान ने एक बयान में कहा कि, ‘लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सभी राजनीतिक दलों से मांग करती है कि वे इस सामाजिक मुद्दे पर फिर से इकठ्ठा हों. वे पहले भी इस मुद्दे पर साथ देते रहे हैं. बार-बार पैदा होने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मिलकर प्रयास करें.’ गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए कोटे को लेकर दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करने हुए यह टिप्पणी की थी.