शेयर बाजार में बीते एक महीने के दौरान की गिरावट के बावजूद निवेशकों ने म्यूचुअल फंडों के जरिए इक्विटी निवेश में अपना भरोसा बनाए रखा है। पिछले महीने शेयर बाजारों में तेज उतार-चढ़ाव के बीच बीएसई का 30-शेयरों वाला सेंसेक्स 2,000 अंक से ज्यादा नीचे आ गया। इसके बावजूद म्यूचुअल फंडों के औसत असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) में बढ़ोतरी का सिलसिला बना रहा। इस दौरान निवेशकों ने न केवल डेट और हाइब्रिड फंड जैसे अधिक सुरक्षित विकल्पों में निवेश किया, बल्कि जोखिम वाले इक्विटी फंडों में भी निवेश करने से पीछे नहीं रहे।
इस वर्ष पहली जुलाई के मुकाबले नौ अगस्त के सेंसेक्स के आंकड़े बताते हैं कि इसमें 2,104 अंकों की गिरावट आई है। हालांकि, इस दौरान शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला और कई बार सेंसेक्स पहली जुलाई के स्तर तक पहुंचा भी। लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की टैक्स संबंधी चिंता के चलते बाजार में जुलाई के दूसरे पखवाड़े में तेज गिरावट हुई। लिहाजा निवेशक सीधे बाजार में निवेश करने से तो दूर रहे, लेकिन म्यूचुअल फंडों में उनका विश्वास बना रहा।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़े बताते हैं कि इस उतार-चढ़ाव के बावजूद जून के मुकाबले जुलाई में म्यूचुअल फंड कंपनियों के एयूएम में वृद्धि हुई है। जून में म्यूचुअल फंडों का एएयूएम 25.51 लाख करोड़ रुपये था। जुलाई में यह एक फीसद से कुछ अधिक बढ़कर 25.81 लाख करोड़ रुपये हो गया। अगर पिछले वर्ष जुलाई के 23.96 लाख करोड़ रुपये एयूएम से तुलना की जाए, तो इस वर्ष इसमें 7.7 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।
बीते एक महीने में बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के चलते निवेशकों का रुख सराफा और मुद्रा बाजार जैसे अन्य निवेश विकल्पों की तरफ हुआ। लेकिन जानकार बताते हैं कि इसके बावजूद इक्विटी वर्ग में भी म्यूचुअल फंडों ने अपना आकर्षण बनाए रखा। एम्फी के सीईओ एनएस वेंकटेश कहते हैं, ‘तेज उतार-चढ़ाव वाले इस मुश्किल महीने में भी डेट, इक्विटी और हाइब्रिड म्यूचुअल फंड योजनाओं की तरफ निवेशकों का रुख सकारात्मक रहा। इक्विटी एसआइपी का योगदान तो तीन वर्ष के उच्च स्तर तक चला गया है।’ इस वर्ष जुलाई में इक्विटी योजनाओं में म्यूचुअल फंडों का एएयूएम 7.06 लाख करोड़ रुपये रहा। जबकि डेट स्कीमों का एएयूएम 11.70 लाख करोड़ रुपये रहा। इंडेक्स और गोल्ड इटीएफ को छोड़ दें तो अन्य इटीएफ का प्रदर्शन भी जुलाई 2019 में बेहतर रहा है।
म्यूचुअल फंड के प्रति जागरूकता
जानकार मानते हैं कि निवेशकों में म्यूचुअल फंडों के प्रति जागरूकता बढ़ने की वजह से ऐसा हो रहा है। रिटर्न को देखते हुए खासतौर पर खुदरा निवेशकों का रुझान म्यूचुअल फंडों की तरफ पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा संस्थागत निवेशकों की रुचि भी इन फंडों में बढ़ी है। वेंकटेश कहते हैं, ‘म्यूचुअल फंड उद्योग का जुलाई का प्रदर्शन यह साबित करता है कि खुदरा निवेशकों में अब परिपक्वता आ रही है। साथ ही यह घरेलू म्यूचुअल फंड उद्योग पर बढ़ते विश्वास का भी परिचायक है।’ उद्योग इसे भविष्य के लिए अच्छे संकेत के तौर पर देख रहा है।