सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या की सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसे 2017 में SBI और किंगफिशर एयरलाइंस के बीच संपत्ति के पूर्ण विवरण का खुलासा नहीं करने के लिए अदालत के आदेश की अवहेलना करने का दोषी पाया गया था। जस्टिस यूयू ललित ने मामले में दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि अभी गिरफ्तारी का वारंट जारी करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि माल्या ब्रिटेन में है।
पीठ ने गृह मंत्रालय (एमएचए) के उस रुख पर भी विचार किया जिसमें ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने सूचित किया है कि एक और कानूनी मुद्दा माल्या के प्रत्यर्पण से पहले हल करना जरूरी है और यह मुद्दा बाहर का है और ब्रिटेन के कानून के तहत प्रत्यर्पण प्रक्रिया से अलग है। जस्टिस ललित ने कहा कि माल्या किसी की हिरासत में नहीं है और वह ब्रिटेन में एक स्वतंत्र नागरिक है। उन्होंने कहा कि एकमात्र कारण यह लगता है कि वहां की अदालत में कोई कार्यवाही लंबित है, जो तय करेगी कि किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित किया जाना है या नहीं।
शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को बैंकों द्वारा दायर अवमानना मामले में सजा सुनाए जाने से पहले माल्या को पेश होने का अंतिम मौका दिया था, जिसमें वह दोषी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने माल्या को अवमानना का दोषी पाया है और सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उसको सुना जाना चाहिए, लेकिन वह अब तक अदालत में पेश नहीं हुआ है। जस्टिस भट ने कहा कि माल्या अब तक सुनवाई से दूर रहा है और अगली सुनवाई में भी यही होगा तो अदालत को उसके गैरहाजिर रहते सजा सुनानी होगी
जस्टिस ललित ने कहा कि माल्या को कई मौके दिए गए। न्यायमूर्ति भट ने कहा कि इस मामले में परिस्थितियां असाधारण हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने साफ किया कि यह भारत सरकार का स्टैंड नहीं था कि उसके खिलाफ कुछ गोपनीय कार्यवाही ब्रिटेन में लंबित है, बल्कि यह ब्रिटेन सरकार का स्टैंड था जो उसके प्रत्यर्पण में देरी कर रहा है।