बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपने-अपने अभियान तेज कर दिए हैं. कांग्रेस पार्टी के चुनावी भाग्य को पुनर्जीवित करने के लिए राहुल गांधी मंगलवार को बिहार के चुनावी अभियान का बिगुल फूंकेंगे.
राहुल वर्चुअल रैली के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों को संबोधित करेंगे. कांग्रेस ने इसे बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन का नाम दिया है.
माना जा रहा है कि कांग्रेस इन रैलियों के जरिए बिहार की 84 विधानसभा क्षेत्रों में वर्चुअल महासम्मेलन रैली करके अपने राजनीतिक समीकरण को साधने की कवायद करेगी.
बिहार विधानसभा चुनाव के कांग्रेस प्रभारी और राष्ट्रीय सचिव अजय कपूर ने कहा कि 1 से 21 सितंबर तक कांग्रेस पूरे राज्य में 100 आभासी रैलियां करेगी. बिहार की जनता मौजूदा सरकार को बदलना चाहती है. विकास की सरकार बनाने के लिए बिहार की जनता मन बना चुकी है.
बिहार क्रांति महासम्मेलन को सफल बनाने के लिए कांग्रेस जिला अध्यक्षों को निर्देश दिए जा चुके हैं. इसके लिए हर सम्मेलन में कम से कम आठ से दस हजार लोगों शामिल करना सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है. अजय कपूर ने बताया कि महासम्मेलन में प्रदेश से लेकर देश स्तर के नेतागण अपने-अपने विचार रखेंगे. कांग्रेस की इस रैली में स्थानीय नेताओं को भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा.
हालांकि, यह तीसरा मौका है जब खुद राहुल गांधी वर्चुअल माध्यम से बिहार नेताओं से जुड़ेंगे. इसके पहले भी वे कोरोना के बीच दो बार वर्चुअल माध्यम से प्रदेश स्तर के नेताओं से बात कर चुके हैं. इस बार यह कार्यक्रम वृहद पैमाने पर होगा और पार्टी नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के साथ भी रूबरू होंगे. राजस्थान में कांग्रेस को जीत दिलाने वाली टीम को ही बिहार की कमान सौंप दी गई है. राजस्थान के प्रभारी रहे अवनीश पांडे अब बिहार में पार्टी के लिए रणनीति बनाने का काम कर रहे हैं.
बता दें कि 1990 के बाद से कांग्रेस का बिहार में जनाधार लगातार कम हुआ है. तीन दशक से कांग्रेस बिहार में सत्ता का वनवास झेल रही है. इस बार भी कांग्रेस महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, जिसका नेतृत्व आरजेडी के हाथ में है. कांग्रेस का बिहार में सामाजिक समीकरण भी बिखर गया है. एक दौर में कांग्रेस के पास माने जाने वाले दलित वोटर दूसरी पार्टियों की ओर शिफ्ट होने लगे. सवर्ण खासकर ब्राह्मण मतदाताओं को बीजेपी ने अपनी ओर आकर्षित किया. वहीं, अल्पसंख्यक मतदाता भी पूरी तरह साथ नहीं रह पाए हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में कांग्रेस ने नीतीश कुमार और लालू यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने 41 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिनमें से 27 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. हालांकि, माना जाता है कि कांग्रेस के इस प्रदर्शन में जेडीयू और आरजेडी के साथ होने का फायदा मिला था. इस बार कांग्रेस का पूरा दारोमदार आरजेडी के सामाजिक मतों के सहारे ही नैया पार लगाने की है. कांग्रेस 2010 में अकेले चुनाव लड़कर अपने हश्र को देख चुकी है.