बड़ी खबर: किसानों के सड़क पर आलू फेंकने पर प्रशासन हुए गंभीर, साजिश की जांच कराने के दिए आदेश

बड़ी खबर: किसानों के सड़क पर आलू फेंकने पर प्रशासन हुए गंभीर, साजिश की जांच कराने के दिए आदेश

किसानों ने शनिवार तड़के विधान भवन, राजभवन, मुख्यमंत्री आवास व कार्यालय के निकट आलू फेंककर अपना विरोध जताया। किसानों की इस कार्रवाई की भनक पुलिस या एलआईयू को नहीं लग पाई। एसएसपी लखनऊ ने लापरवाही बरतने पर एक दरोगा व चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया है। उन्होंने आलू फेंकने के पीछे साजिश की जांच कराने के आदेश दिए हैं।बड़ी खबर: किसानों के सड़क पर आलू फेंकने पर प्रशासन हुए गंभीर, साजिश की जांच कराने के दिए आदेश
सत्ता प्रतिष्ठानों से जुड़े स्थलों पर आलू बिखरने की घटना शनिवार तड़के सवा चार बजे की है। आलू मेटाडोर में लदे थे। इस मेटाडोर में सवार लोगों ने 1090 चौराहे से 5 कालिदास मार्ग चौराहा, राजभवन, विधानभवन के सामने से एनेक्सी के पास तक आलू बिखेर दिए। एसएसपी ने बताया कि पहली नजर में देखने पर लग रहा था कि आलू खुले होने की वजह से खुद गिर रहे हैं इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब राजभवन और विधानसभा भवन के सामने लोडर चालक आलू गिराते हुए नजर आया तब शरारत की पुष्टि हुई।

एसएसपी ने बताया कि सुबह ही हजरतगंज कोतवाली के नाइट अफसर उपनिरीक्षक राहुल सोनकर ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन कर एक लोडर का नंबर बताते हुए आलू गिराने की सूचना दी थी।

छानबीन में गौतमपल्ली थाना के नाइट अफसर उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार, बाइक पर गश्त करने वाले सिपाही अंकुर चौधरी व वेद प्रकाश तथा हजरतगंज कोतवाली क्षेत्र में बाइक पर तैनात सिपाही कोमल सिंह व नवीन कुमार की लापरवाही सामने आई। उन्होंने आलू गिरने की जानकारी के बाद भी इस संवेदनशील मामले को नजरअंदाज किया। जिसके चलते इन पांचों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

लोडर चालक का भी पता चल गया है। पुलिस उसके घर गई लेकिन वह नहीं मिला। उसकी तलाश की जा रही है। देर रात पुलिस इस मामले में लोडर चालक के खिलाफ केस दर्ज करने की तैयारी भी कर रही थी। किसानों ने आलू बिखरने की सूचना मीडिया तक को नहीं दी। माना जा रहा है कि आलू किसानों की पीड़ा की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए विधानभवन व अन्य स्थलों के बाहर सड़कों पर आलू फेंका गया।

सरकार बनाए 15 मंत्रालयों की कमेटी

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि लखनऊ में किसानों ने आलू फेंककर सांकेतिक विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि सरकार को 16 मंत्रालयों की एक कमेटी बनानी चाहिए जो किसानों को बताए कि प्रदेश में कितने आलू, कितनी सब्जी और कितने अनाज की जरूरत है। कई देशों में ऐसी व्यवस्था है।

भाकियू के मंडल अध्यक्ष हरनाम सिंह का कहना है कि सरकार ने 487 रुपये क्विंटल आलू खरीदने का दावा किया था लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। जो थोड़ी बहुत खरीद हुई, वह आलू की ग्रेडिंग करके हुई। उन्होंने सवाल किया कि बड़ा और छोटा आलू कहां जाएगा?

सड़े हुए थे आलू, नमूने की कराई जाएगी जांच
एसएसपी का कहना है कि राजभवन और विधानसभा भवन के आसपास जो आलू फेंके गए हैं, वह सड़े हुए थे। आलू का नमूना जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया है। 31 दिसंबर को कोल्ड स्टोरेज बंद हो जाते हैं। हो सकता है कि फेंका गया आलू लोडर चालक ने अपने घर पर रखा हो और वह खराब हो गया हो। आलू सड़ने के बाद उसने शरारत के इरादे से उसे राजभवन व विधानभवन के सामने फेंक दिया हो।

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