प्रदेश में आकाशीय बिजली (वज्रपात) गिरने से हर साल 200 से 300 लोगों की मौत हो रही है। बीते छह सालों में ही करीब डेढ़ हजार लोग वज्रपात से जान गंवा चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और ऐसी घटनाओं में कमी लाने के लिए मुख्यमंत्री वज्रपात सुरक्षा योजना लागू करने का निर्देश दिया है। राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण (एसडीएमए) के उपाध्यक्ष के निर्देशन में यह योजना तैयार की जाएगी।
राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वज्रपात से प्रतिवर्ष 200 से अधिक लोगों की मौत हो रही है। 2010 से 2015 के बीच 1449 लोगों की वज्रपात से मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने तकनीक का अधिकाधिक उपयोग कर ऐसी दुर्घटनाओं में कमी लाने और लोगों को जागरूक करने के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री वज्रपात सुरक्षा योजना की तैयार की जा रही है।
इसमें हाई रिस्क एरिया को चिह्नित कर जागरूकता अभियान चलाने और लाइटनिंग अरेस्टर लगाने का प्रस्ताव है। यह योजना एसडीएमए के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) रवींद्र प्रताप शाही के निर्देशन में तैयार की जाएगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री की सहमति मिल गई है।
आकाशीय बिजली से मौतें
वर्ष संख्या
2010 249
2011 246
2012 204
2013 294
2014 225
2015 231
सामूहिक सड़क दुर्घटना भी घोषित होगी राज्य आपदा
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों सड़क के गड्ढों सेमौतों पर चिंता जताते हुए इसे गंभीरता से न लेने पर राज्यों को फटकार लगाई थी। मुख्यमंत्री ने सामूहिक रूप से घटित होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को राज्य सरकार द्वारा घोषित आपदा की श्रेणी में शामिल किए जाने के निर्देश दे दिए हैं। अब परिवहन, राजस्व, गृह व लोक निर्माण मिलकर इस कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार करेंगे। प्रमुख सचिव राजस्व की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटी गठित कर दी गई है। कमेटी की 27 सितंबर को पहली बैठक प्रस्तावित है।
बाढ़ मैपिंग व पूर्वानुमान तंत्र होगा शुरू
सीएम योगी ने प्रदेश में हर वर्ष आने वाली बाढ़ की विभीषिका पर नियंत्रण केलिए मुख्यमंत्री बाढ़ मैपिंग तथा पूर्वानुमान तंत्र पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने का निर्देश दिया है। यह काम आईआईटी कानपुर के सहयोग से होगा। राहत आयुक्त ने आइआईटी कानपुर के निदेशक को पत्र लिखकर इस संबंध में प्रस्ताव उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।