ब्रिटेन में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण बढ़ने के लिए वहां के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायरस के नए अवतार को जिम्मेदार पाया है. वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि नए स्ट्रेन में पहले वाले वेरिएंट की तुलना में बहुत अधिक ट्रांस्मिसिबिलिटी है. इसका मतलब ये है कि पहले के वायरस के मुकाबले नया वायरस ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है.
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जो कोरोना वैक्सीन लोगों को दिया जा रहा है वो नए स्ट्रेन के खिलाफ लड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा और शरीर पर प्रभावी होगा. कोरोना के नए स्ट्रेन के सामने आने के बाद ब्रिटेन सरकार को क्रिसमस जैसे त्योहार पर भी सख्त प्रतिबंधों को लागू करने और तत्काल कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है.
चेन्नई में ICMR महामारी विज्ञान विभाग के संस्थापक-निदेशक डॉक्टर मोहन गुप्ते ने मीडिया के साथ बात करते हुए कहा कि वायरस के नए स्ट्रेन को तब खोजा गया जब ब्रिटेन में एक बार फिर तेजी से वायरस फैलने लगा. क्या यह महामारी से निपटने के मौजूदा प्रयासों को खतरे में डालेगा. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वायरस के नए स्ट्रेन को 20 सितंबर को दक्षिण इंग्लैंड में खोजा गया था. यह वह समय है जब देश में कोरोना मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं.
उन्होंने कहा- वायरस का यह नया स्ट्रेन जीनोम में कुल 17 बदलाव दिखा रहा है, यह बहुत बड़ा बदलाव है जो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है. इस परिवर्तन के कारण, इस वायरस की संक्रामकता भी बदल गई है और यह पहले के वायरस के मुकाबले 70% अधिक क्षमता के साथ संक्रमण फैला सकता है
डॉ गुप्ते के मुताबिक इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि नया स्ट्रेन सिर्फ ब्रिटेन में मौजूद हो क्योंकि यूरोप के अन्य हिस्सों में इसका पता अभी नहीं चला है. उन्होंने यह भी कहा कि इन्फ्लूएंजा की तुलना में कोरोना वायरस काफी स्थिर है. गुप्ते ने कहा, “इसकी मरम्मत का अपना खुद का तंत्र है और इसलिए, कोरोना वायरस में होने वाले बदलाव तुलनात्मक रूप से छोटे और बहुत धीमे हैं.”
नए वायरस स्ट्रेन की संक्रमण दर के बारे में, डॉ गुप्ते ने कहा कि इसकी 70 प्रतिशत की “बहुत उच्च संप्रेषणता” है, जबकि पहले वाले संस्करण की तुलना में यह 50 फीसदी था. उन्होंने फिर से पुष्टि की है कि ब्रिटेन में मामलों में तेज वृद्धि ज्यादातर नए तेजी से फैलने वाले वायरस के कारण है.
गुप्ते ने कहा, “वायरस का नया स्ट्रेन (नया Covid-19) निश्चित रूप से भारत में आएगा, क्योंकि वैश्विक स्तर पर संक्रमण दर बहुत बड़ी है.” लोग कोरोना वायरस महामारी और प्रतिबंधों के बावजूद आगे बढ़ना चाहते हैं. यह बहुत संभव है कि भारत में पहले से ही यह नया संस्करण मौजूद हो जो इंग्लैंड में पाया गया था.
हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत पर नए वायरस का प्रभाव का कितना है इसकी आगे जांच की जानी है. भारत में वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, गुप्ते ने कहा कि भारत में मामलों में काफी कमी आई है. उन्होंने कहा कि भारत में मामलों की वृद्धि और गंभीरता की दर भी बहुत कम है.