ब्रिटेन में आम चुनाव के लिए तारीख का एलान हो गया है। ब्रिटेन में आगामी चार जुलाई को आम चुनाव के लिए मतदान होगा। कई महीनों की अटकलों पर विराम लगाते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने समय से पहले चुनाव की तारीख की घोषणा की। हालांकि कुछ समय पहले सुनक ने आम चुनाव साल की दूसरी छमाही में कराए जाने की बात कही थी।
ओपिनियन पोल में पिछड़ रही सुनक की पार्टी
ओपिनियन पोल में पिछड़ने के कारण इसे उनकी कंजरवेटिव पार्टी की जोखिम भरी रणनीति माना जा रहा है। पूर्व निवेश बैंकर और वित्त मंत्री ने दो वर्ष से भी कम समय पहले प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था। चुनाव के लिए दोनों पार्टियों ने प्रचार शुरू कर दिया है।
लेबर पार्टी लगा रही आरोप
सुनक और उनकी सरकार ने लेबर पार्टी पर सरकार में आने पर कर बढ़ाने की तैयारी करने का आरोप लगाया और कहा कि योजना का अभाव होने के कारण ब्रिटेन लेबर पार्टी के हाथों में सुरक्षित नहीं है। हालांकि विपक्षी लेबर पार्टी सरकार के आरोपों को नकारती है।
वहीं लेबर पार्टी सरकार पर 14 साल के आर्थिक कुप्रबंधन, अराजक प्रशासन देने और लोगों को बदतर हालात में छोड़ने का आरोप लगाती है। विपक्षी लेबर पार्टी ने कहा कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं।
पीएम सुनक ने चुनावों को लेकर कही ये बात
ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि उन्होंने चुनाव के लिए चार जुलाई की तारीख निर्धारित की है ताकि लोग यह तय कर सकें कि क्या वे देश ने जो प्रगति की है, उस पर आगे बढ़ना चाहते हैं या पहले की स्थिति में वापस जाना चाहते हैं। बता दें कि सुनक ने ब्रिटेन के बिगड़ते आर्थिक दौर में पीएम पद संभाला था।
सुनक ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था अब फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका की तुलना में तेजी से बढ़ रही है, उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी जानकारी मिली है कि मुद्रास्फीति सामान्य हो गई है। उन्होंने कहा कि ये घटनाक्रम दर्शाते हैं कि उनकी सरकार की योजनाएं और प्राथमिकताएं काम कर रही हैं।
ब्रिटेन में तीन वर्ष के निचले स्तर पर आई महंगाई
ब्रिटेन में अप्रैल के दौरान महंगाई की दर 2.3 प्रतिशत रही है, जो बीते तीन वर्षों यानी जून 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले मार्च 2024 में यहां महंगाई दर 3.2 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के अनुसार, घरेलू बिलों में तेज गिरावट के कारण अप्रैल में महंगाई घटी है। इसके साथ यह बैंक आफ इंग्लैंड के दो प्रतिशत के लक्ष्य के करीब पहुंच गई है। इससे बैंक पर ब्याज में कटौती का दबाव बनेगा।