बॉडी की स्‍ट्रेंथ बढ़ाएंगे ये योगासन, कमर का फैट भी होगा दूर

बॉडी की स्‍ट्रेंथ बढ़ाएंगे ये योगासन, कमर का फैट भी होगा दूर

आज के लाइव योगा सेशन (Live Yoga Session) में हमने शरीर को लचीला बनाए रखने के साथ डाइजेशन को बेहतर बनाने वाले कई सूक्ष्‍म व्‍यायाम किए. साथ ही पश्चिमोत्तान और हलासन, शशकासन, भुजंग आसन आदि के कॉम्‍बिनेशन वाले योगासन भी किए. ये योगासन शरीर के फैट को कम करेंगे और शरीर को फिट (Fit) और हेल्दी (Healthy) बनाए रखते हैं. इनको नियमित तौर पर करने से मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) भी बेहतर बना रहता है. सुबह उठने पर शरीर में होने वाली अकड़न को दूर करने और दिन भर रिफ्रेश (Refresh) बने रहने के लिए योगासन (Yoga Posture) बेहद जरूरी हैं. इसके अलावा व्‍यायाम से पहले ये तीन नियम जरूर ध्‍यान रखें कि अच्‍छा गहरा लंबा श्‍वास लें, गति का पालन करें और अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार योगाभ्‍यास करें. निरंतर अभ्‍यास करना बहुत जरूरी है.

बटरफ्लाई आसन
बटरफ्लाई आसन को तितली आसन भी कहते हैं. महिलाओं के लिए ये आसन विशेष रूप से लाभकारी है. बटरफ्लाई आसन करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें. घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं. दोनों हाथों से अपने दोनों पांव को कस कर पकड़ लें. सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं. एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें. लंबी,गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घटनों एवं जांघो को जमीन की तरफ दबाव डालें. तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें. धीरे धीरे तेज करें. सांसें लें और सांसे छोड़ें. शुरुआत में इसे जितना हो सके उतना ही करें. धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं.

मलासन

मल निकालते वक्त हम जिस अवस्था में बैठते हैं उसे मलासन कहते हैं. बैठने की यह स्थति पेट और पीठ के लिए बहुत ही लाभदायक रहती है. दोनों घुटनों को मोड़ते हुए मल त्याग करने वाली अवस्था में बैठ जाएं. फिर दाएं हाथ की कांख को दाएं और बाएं हाथ की कांख को बाएं घुटने पर टिकाते हुए दोनों हाथ को मिला दें (नमस्कार मुद्रा). उक्त स्थिति में कुछ देर तक रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं.

मलासन के फायदे
मलासन से घुटनों, जोड़ों, पीठ और पेट का तनाव खत्म होता है और इनका दर्द कम होता है. इससे कब्ज और गैस की समस्या से भी मुक्ति मिलती है.

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शशकासन
शशक का का अर्थ होता है खरगोश. इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं. इस आसन को कई तरीके से किया जाता है. सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें. कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें. फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए, श्वास बाहर निकालते हुए हथेलियां को भूमि पर टिका दें. फिर माथा भी भूमि पर टिका दें. कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर फिर से वज्रासन की स्थिति में आ जाएं.

शशकासन के फायदे
हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है. यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन जैसे मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं.

भुजंग आसन
इस आसन को करते वक्त धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए छाती को आगे की और ले जाएं. हाथों को ज़मीन पर सीधा रखें. गर्दन पीछे की ओर झुकाएं और दोनों पंजों को सीधा खड़ा रखें.

पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन योग का नाम दो शब्दों के मेल से बना है- पश्चिम और उत्तान. पश्चिम यानी पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा और उत्तान मतलब खिंचा हुआ. रीढ़ की हड्डी के दर्द से निजात पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पश्चिमोत्तानासन योग करना चाहिए. इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर के पिछले हिस्से यानी रीढ़ की हड्डी में खिंचाव उत्पन्न होता है, इस कारण इस आसन को पश्चिमोत्तानासन कहा जाता है. इस आसन को करने से शरीर का पूरा हिस्सा खिंच जाता है और यह शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है. जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उनके लिए पश्चिमोत्तानासन रामबाण की तरह काम करता है और इस रोग के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए भी यह आसन बहुत फायदेमंद माना जाता है.

पश्चिमोत्तानासन के फायदे
तनाव दूर करने में फायदेमंद
पेट की चर्बी दूर करने में मददगार
हड्डियों को लचीला बनाने में कारगर
बेहतर पाचन के लिए फायदेमंद
अनिद्रा की समस्या को दूर करता है

हलासन
हलासन को प्‍लो पोज Plow Pose भी कहा जाता है. खेती में उपयोग किए जाने वाले उपकरण हल के नाम पर इसका नाम हलासन रखा गया है. इसके करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को शरीर से सटा कर रखें. हथेलियां जमीन की तरफ होनी चाहिए. अब सांस अंदर की ओर खींचते हुए अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाएं. इससे दबाव पेट की मांसपेशियों पर पड़ेगा. अब अपनी टांगों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपने हाथों से कमर को सहारा दें. अब अपनी टांगों को सिर की ओर झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे की ओर ले जाएं. हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें. इसी स्थिति में करीब एक मिनट तक रहें.

हलासन के फायदे
हलासन पाचन सुधारने में मदद करता है.
इसे करने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है और कमर दर्द में आराम मिलता है.
यह शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और यह वजन घटाने में भी प्रभावी है.
यह आसन डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अच्‍छा है. इसकी वजह यह है कि इसे करने से शुगर लेवल कंट्रोल होता है.
भ्रस्तिका प्राणायाम
भ्रस्तिका प्राणायाम लंग्‍स की कैपिसिटी को बढ़ाता है. इसे करने के लिए सुखासन में बैठकर रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर और मन को स्थिर रखें. इसके बाद तेज गति से श्वास लें और श्वास बाहर निकालें. श्वास लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वास छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए. श्वास लेते और छोड़ते समय गति बनाकर रखें.

कपालभाति
कपालभातित बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है. इससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है. वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी हैं. लीवर किडनी और गैस की समस्या के लिए बहुत लाभ कारी है. कपालभाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें. इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें. साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें. इसके तुरंत बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते हैं. इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैं लेकिन एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें. क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं. इसे कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 30 मिनट तक कर सकते हैं.

कपालभाति के फायदे
ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है
सांस संबंधी बीमारियों को दूर करमे में मदद मिलती है. विशेष रूप से अस्थमा के पेशेंट्स को खास लाभ होता है.
महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी
पेट की चर्बी को कम करता है
पेट संबंधी रोगों और कब्ज की परेशानी दूर होती है
रात को नींद अच्छी आती है

अनुलोम विलोम प्राणायाम
सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए. अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
फेफड़े मजबूत होते हैं
बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता.
वजन कम करने में मददगार
पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है
तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए मददगार
गठिया के लिए भी फायदेमंद

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