महिला ने पति के अंतिम संस्कार के लिए दो हजार रुपये गांव के महाजन के यहां सात वर्षीय बेटे सोनू को गिरवी रखकर लिए थे।
आगरा । पति की मौत के बाद महिला के पास अंतिम संस्कार को भी पैसे नहीं थे। इसके लिए सात वर्षीय बेटे को गिरवीं रखकर रुपये ले लिए। बेटे को छुड़ाने के लिए वह काम की तलाश में रिश्तेदारों के साथ आगरा आ गई। यहां दर-दर भटक रही थी। पुलिस ने उसे दुत्कार दिया। शनिवार को शाह मार्केट में दुकानदारों और समाजसेवी ने उसे ट्रेन में बैठाकर उसके घर भेजकर मानवता की मिसाल पेश की।
शनिवार को सुबह नौ बजे रीता दो बच्चों को लेकर शाह मार्केट में भटक रही थी। बच्चे भूख और प्यास से व्याकुल थे। वह पानी लेने दुकानदार के पास गई तो उसे दुत्कार कर भगा दिया। वह अपने दो बच्चे को नाली का पानी पिला रही थी। इतने में एक दुकानदार की नजर पड़ी। उसने पानी खरीदकर उसे पिलाया।
महिला सभी से कह रही थी उसे घर पहुंचा दो। वहां से गुजर रहे समाजसेवी नरेश पारस ने उससे बात की तो पूरा मामला पता चला। उसने बताया कि सात माह पहले उसके पति की मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार को दो हजार रुपये उसने गांव के ही महाजन के यहां सात वर्षीय बेटे सोनू को गिरवी रखकर लिए थे। इन्हें चुकाने के लिए वह काम की तलाश में रिश्तेदारों के साथ आई, लेकिन वे उसे छोड़ गए।
यहां काम नहीं मिल रहा था, इसलिए उसे वापस जाना था। तीन वर्षीय बेटी नंदनी और डेढ़ वर्षीय बेटे अरुण को लेकर वह थाने गई, लेकिन वहां से भगा दिया। समाजसेवी ने मामले की सूचना आशा ज्योति केन्द्र लखनऊ को दी। वहां से केस यहां रेफर कर दिया गया।
काउंसलर वहां पहुंची, लेकिन बिना मदद के वापस चली गईं। दुकानदारों की मदद से समाजसेवी ने महिला और उसके बच्चों को टूण्डला रेलवे स्टेशन से ट्रेन की टिकट दिलाई। इसके साथ ही नागालैंड पुलिस से बात करके पूरा मामला बता दिया और महिला की भी बात करा दी।
पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे महिला को कोहिमा में उतार लेंगे और उसके बच्चे को भी मुक्त करा लेंगे। दुकानदारों ने महिला को खाना खिलाया। उसके लिए तीन दिन का खाने का सामान भी पैक करके दे दिया। बच्चों को कपड़े और चप्पल दिए। महिला को घर भिजवाने में समाजसेवी नरेश पारस, दुकानदार सौरभ जैन, राकेश मल्होत्र और विमल ने मदद की।