पटना गर्दनीबाग अस्पताल में 30 दिसंबर को अरुण कुमार ने कोरोना जांच के लिए सैंपल दिया था। आज तक आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट नहीं मिली है और न ही उन्हें कोई सूचना दी गई है। अरुण कुमार अब भी जांच रिपोर्ट के इंतजार में हैं। वहीं, एक्जीबिशन रोड के रहने वाले सोमेश्वर राय ने गार्डिनर रोड अस्पताल में चार जनवरी को आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल दिया था। अब तक उनकी भी रिपोर्ट नहीं आई है। दोनों अस्पताल के प्रबंधकों का कहना है कि जांच के लिए सैंपल भेजा जा रहा है लेकिन रिपोर्ट आने में देरी हो रही है।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रिपोर्ट आने में औसतन तीन दिन का समय लग जा रहा है। ये तो चंद उदाहरण हैं। राजधानी के सैकड़ों मरीजों की रिपोर्ट 72 घंटे बाद भी नहीं मिली है। इससे उनके इलाज में परेशानी तो हो ही रही है। सामान्य लक्षण वालों को अपने घर के सदस्यों से भी अलग रखना पड़ रहा है। सिर्फ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की रिपोर्ट समय पर आ रही है। तीसरी लहर की शुरुआत में ही जांच रिपोर्ट में देरी से स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित भी हैं।
गर्दनीबाग अस्पताल की प्रमुख का कहना है कि करीब 250 से अधिक सैंपल की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आयी है। जांच रिपोर्ट मिलने में समय लग रहा है। यहां का जांच सैंपल आरएमआरआई भेजा गया था। जानकारी दी गई है कि जांच रिपोर्ट भेजी जा रही है। वहीं, गार्डिनर रोड अस्पताल जांच केंद्र में भी चार जनवरी को दिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट नहीं आयी है। यहां भी 300 से अधिक लोगों की जांच रिपोर्ट लंबित है।
देर से सैंपल मिलने के कारण देरी
आरएमआरआई के सूत्रों का कहना है कि गार्डिनर रोड अस्पताल से पांच जनवरी का सैंपल सात जनवरी को भेजा गया है। ऐसे में सैंपल देने वाले को 24 घंटे में रिपोर्ट कैसे मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ आयुक्त से लेकर जिलाधिकारी तक ने निर्देश दिया है कि आरटीपीसीआर की जांच 24 घंटे में देनी है, लेकिन ऐसी नहीं हो पा रहा है। आरएमआरआई के सूत्रों ने बताया कि सभी परेशानियों को दूर कर लिया गया है।
लैब टेक्नीशियन की भी कमी
जांच रिपोर्ट में देरी का एक प्रमुख कारण लैब टेक्नीशियन की कमी भी है। इस कारण सैंपल संग्रह के बाद भी समय पर मरीजों को रिपोर्ट नहीं मिल रही है। हालांकि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में खुद की लैब है। इस कारण पीएमसीएच, आईजीआईएमएस और पटना एम्स में जांच रिपोर्ट करीब 24 घंटे में मिल जा रही है।
जांच रिपोर्ट में देरी होने पर खुद को करें आइसोलेट
पटना एम्स के पल्मोनरी मेडिसीन विभाग के डॉ. सौरभ करमाकर ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने तक खुद को परिवार के अन्य सदस्यों से दूर रहें और आइसोलेट हो जाएं। कमरा हवादार होना चाहिए। अगर जांच रिपोर्ट आने में समय लग रहा है तो इस बात का ध्यान रखना है कि आपको तेज बुखार यानी 103 डिग्री लगातार तीन दिनों तक तो नहीं है। ऐसा है तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेकर अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।
सांस में दिक्कत हो, हफनी हो तो जांच रिपोर्ट आने तक लापरवाही नहीं बरतें। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव हो तो लक्षण के आधार पर निकटतम अस्पताल और संबंधित चिकित्सक से सलाह लें और इलाज कराएं। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन कम उम्र के युवाओं में ही ज्यादातर हो रहा है। ऐसे में सावधानी बहुत ही जरूरी है।
जांच रिपोर्ट देर से मिलने के कारण
– कई जांच केंद्रों द्वारा समय पर सैंपल नहीं भेजना
– आरएमआरआई के जांच कर्मियों का संक्रमित होना
– दो दिन पहले मशीन में कुछ तकनीकी परेशानी आना