6वां राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन शुरू, लालू का नाम सुनते ही RJD ने किया बवाल

6वां राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन शुरू, लालू का नाम सुनते ही RJD ने किया बवाल

पटना में शनिवार को शुरू हुए छठे कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी समिट में 52 देशों के रिप्रेजेंटेटिव भाग ले रहे हैं। समिट का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। हंगामे की वजह बने राज्य के  डिप्टी सीएम सुशील मोदी। सुशील मोदी अपने भाषण में भ्रष्टाचार की बात करते हुए कहा कि केंद्र की बीजेपी और राज्य सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है और मिलकर काम कर रही हैं। इसी का नतीजा है कि भ्रष्टाचार के मामले में राज्य के 4 पूर्व मुख्यमंत्री जेल में बंद हैं। इतना सुनते ही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी)  के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया।  दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। विधायकों ने हंगामा इतना बढ़ गया कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की उन्हें चुप कराने की कोशिश नाकाम हो गई।  6वां राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन शुरू, लालू का नाम सुनते ही RJD ने किया बवालअपने स्वागत भाषण में सुशील मोदी ने जैसे ही कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में सजा पाकर राज्य के 4 पूर्व मुख्यमंत्री किसी न किसी जेल में बंद हैं, इतना सुनते ही आरजेडी विधायकों ने हंगामा  करना शुरू कर दिया।

आरजेडी नेताओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ

आरजेडी विधायकों के द्वारा किए जा रहे हंगामे के बीच सुशाल मोदी बोलते रहे, लेकिन आरजेडी नेताओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ। स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बीच भाषण में आरजेडी के विधायकों को शांत रहने को कहा। उन्होंने कहा, यह बिहार विधानसभा नहीं है जो आप लोग हंगामा कर रहे हैं। आप लोगों को यहां अतिथि के रूप में बुलाया गया है। आप अतिथि की तरह पेश आएं। हंगामे के बाद आरजेडी विधायकों ने सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया।

बता दें कि चारा घोटाले में मुख्य आरोपी लालू यादव अभी जेल में बंद है। उनके पास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है लेकिन वो फैसला जनता गी अदालत में करना चाहते हैं।

हंगामा कर रहे विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि क्या सुशील मोदी के मन में जो आएगा वह बोलेंगे और हम चुप चाप सुनते रहेगें। अब यह नहीं होगा। हम शांत नहीं रहेंगे। उन्हें ख्याल रखना चाहिए था। सुशील मोदी को माफी मांगनी चाहिए और उन्हें अपने शब्द वापस लेने चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

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