बिहार में चिराग पासवान की पार्टी ने बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचाया है : शिवसेना

बिहार विधानसभा चुनाव का नतीजा आ गया है और एनडीए फिर सत्ता तक पहुंच गया है. बिहार के नतीजों पर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. शिवसेना के मुखपत्र सामना में बिहार चुनाव पर लेख आया है, साथ ही शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार को इसको लेकर ट्वीट किया और लिखा कि चिराग पासवान की पार्टी ने बीजेपी को फायदा पहुंचाया, जिसकी वजह से जदयू नंबर तीन की पार्टी बन गई.

प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा कि चिराग की ओर से ‘दिल में है मोदीजी’ की बात सिर्फ एक डायलॉग नहीं था, उसके पीछे तैयारी थी.

शिवसेना सांसद के अलावा शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी बिहार को लेकर लेख छपा है. सामना में लिखा गया है कि बिहार में आर-पार की लड़ाई में ‘एनडीए’ अर्थात भाजपा-नीतीश कुमार गठबंधन को बढ़त मिली है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘जद-यू’ को झटका लगा है. बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार आई है लेकिन नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे क्या? यह मामला अधर में है. 

सामना में लिखा गया कि नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड 50 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई और भाजपा ने 70 का आंकड़ा पार किया. नीतीश कुमार की पार्टी को कम सीटें मिलने के बावजूद वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा अमित शाह को घोषणा करनी पड़ी थी. ऐसा ही वादा उन्होंने 2019 के चुनाव में शिवसेना को भी दिया था, उस वचन को नहीं निभाया गया और महाराष्ट्र में नया राजनीतिक महाभारत हुआ. अब कम सीटें मिलने के बावजूद नीतीश कुमार को दिया गया वचन पूरा किया गया तो इसका श्रेय शिवसेना को देना होगा. 

सामना में राजद नेता तेजस्वी यादव की तारीफ की गई है. लेख में कहा गया कि नया युवा तेजस्वी यादव का चेहरा उदित हुआ है. उसने प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, नड्डा और सारे सत्ताधीशों से अकेले लड़ाई लड़ी, तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जोरदार चुनौती दी. 

साथ ही कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा गया कि शुरुआत में एक तरफा लगने वाली जीत मुकाबले वाली हो गई और वह सिर्फ तेजस्वी यादव की तूफानी प्रचार सभाओं के कारण ही हुआ. तेजस्वी ने एक महागठबंधन बनाया, उसमें कांग्रेस सहित वाम दल भी शामिल हुए. लेकिन कांग्रेस पार्टी की फिसलन का बड़ा झटका तेजस्वी यादव को लगा, वाम दलों ने कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया हालांकि, कांग्रेस वैसा नहीं कर पाई. 

सामना में लिखा गया है कि तेजस्वी यादव हार गए हैं, ऐसा हम मानने को तैयार नहीं. चुनाव हारना ही केवल पराभव नहीं होता और जुगाड़ करके आंकड़ा बढ़ाना जीत नहीं होती. तेजस्वी की लड़ाई एक बड़ा संघर्ष था, यह संघर्ष परिवार का था और उसी प्रकार सामने बलवान सत्ताधारियों से था. 15 साल बिहार पर एकछत्र राज करने वाले नीतीश कुमार पर ऐसा समय तेजस्वी यादव के कारण आया क्योंकि इस युवा लड़के ने चुनाव प्रचार में विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दे रखे, जो पहले गायब हो चुके थे.

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