चुनाव में इस बार महिलाओं की भागीदारी पहले के मुकाबले बढ़ी है। क्षेत्रीय दलों ने ज्यादा महिलाओं को टिकट थमाया है, लेकिन राष्ट्रीय दल पिछड़ गए। अब तक सभी तीन चरणों के लिए अपने हिस्से की कुल 115 सीटों में से सबसे ज्यादा जदयू ने महिलाओं पर भरोसा जताया और 22 महिला उम्मीदवार उतारे हैं। जदयू ने 20 फीसदी से ज्यादा महिला उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा ने 110 उम्मीदवारों में से 14 पर महिला प्रत्याशियों को उतारा है। इसी तरह, राजद की 144 सीटों में से 16 पर महिला उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने 70 सीटों पर 7 महिलाओं को टिकट थमाया है। वीआईपी की 11 सीट में एक महिला तो लोजपा में 18 महिला प्रत्याशी हैं।
इन आंकड़ों से यह साफ है कि जहां जदयू, लोजपा जैसे क्षेत्रीय दलों ने महिला उम्मीदवारी को महत्व दिया है, वहीं भाजपा-कांग्रेस-राजद जैसे दल महिलाओं पर भरोसा जताने में थोड़ा पीछे हैं। कांग्रेस ने दस फीसदी महिलाओं को टि कट दिया है जबकि राष्ट्रीय नेतृत्व महिला के हाथ है।
जदयू महिलाओं को टिकट देने में भले सबसे आगे है, लेकिन चेरिया बरियारपुर से मंजू वर्मा को टिकट देकर घिर गया है। जदयू ने अतरी से मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मंजू वर्मा मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड को लेकर विवादों में हैं तो मनोरमा के बेटे पर गया में एक कारोबारी के बेटे की हत्या का आरोप है। केसरिया से शालिनी मिश्रा जदयू उम्मीदवार हैं। मीना कामत बाबूबरही से जदयू से चुनाव लड़ रहीं हैं।
राजद ने बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को उम्मीदवार बनाया है, वहीं नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व मत्री राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा से प्रत्याशी बनाया है। भोजपुर जिले की संदेश सीट से किरण देवी को उतारा है जो दुष्कर्म के आरोपी विधायक अरुण यादव की पत्नी हैं।
पार्टी ने चकाई से सावित्री देवी, नोखा से अनिता देवी, कटोरिया से स्वीटी हेम्ब्रम, बाराचट्टी से समता देवी, मोहनिया से संगीता देवी, शेरघाटी से मंजू अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। तारापुर से राजद उम्मीदवार दिव्या प्रकाश पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी हैं। सीतामढ़ी के परिहार से राजद ने ऋतु जायसवाल को मैदान में उतारा। मधेपुरा से कांग्रेस ने वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव को टिकट दिया है।
भाजपा ने जमुई से अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह को टिकट दिया है। श्रेयषी हाल में ही पार्टी में शामिल हुई हैं। दानापुर से तीन बार विधायक रह चुकीं आशा सिन्हा को नाराजगी के बावजूद पार्टी ने फिर से उम्मीदवार बनाया है।
राजनीति में आईं प्लुरल्स प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानती हैं। पुष्पम क्षेत्र में निकलती हैं तो महिलाओं से खोंइंछा मांग रहीं हैं। बिहारी समाज में खोंइंछा मंगलकामना का प्रतीक है। बांकीपुर से प्लुरल्स प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी मैदान में हैं।
उनके सामने शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा हैं। इनके अलावा दीघा से प्लुरल्स ने शांभवी सिंह को मैदान में उतारा है। शांभवी पेशे से पत्रकार रही हैं।
2015 में भाजपा ने 15 महिलाओं को टिकट दिया था जिनमें से चार को जीत मिली थी। राजद ने 10 महिलाओं को मैदान में उतारा और सभी दस ने जीत दर्ज की। जदयू ने भी 10 महिलाओं को मौका दिया जिनमें 9 को जीत मिली। कांग्रेस ने 5 महिलाओं को टिकट दिया और चार ने जीत दर्ज की।
इस बार महिला मतदाताओं की संख्या 3 करोड़ 39 लाख है। पिछले नतीजे को देखते हुए अधिकांश दलों ने इस बार भी महिलाओं को जीत के लिए आगे किया है।
यहां की राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी की बात की जाए तो 2010 में 34 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची थीं। 2015 में 28 महिलाएं विधायक बनीं। पिछले चुनाव में मतदान करने में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं भारी पड़ी थीं।
कुल पुरुष मतदाताओं में से 54 फीसदी ने मतदान किया था तो कुल महिला मतदाताओं में 59 फीसदी ने मतदान किया था। महिला मतदाता यदि बूथों तक पहुंचती हैं तो जाहिर है कि नई विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बढ़ सकती है।
किस पार्टी ने कितनी महिलाओं का बनाया उम्मीदवार
जदयू 115 सीटों पर 22 महिला प्रत्याशी
भाजपा 110 सीटों पर 14 महिला प्रत्याशी
राजद 144 सीटों पर 16 महिला प्रत्याशी
कांग्रेस 70 सीटों पर 7 महिला प्रत्याशी
वीआईपी 11 सीट पर एक महिला प्रत्याशी
लोजपा में 18 महिला प्रत्याशी