बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बड़े बेटे ने मंगलवार को समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा सीट से पर्चा भरा तभी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय के डर से वैशाली की महुआ सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐश्वर्या राय के साथ तेज प्रताप अलग हो चुके हैं और अदालत में तलाक का मामला चल रहा है। ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय, जो 2015 के विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav) में आरजेडी के टिकट पर परसा सीट से विधायक चुने गए थे, इस बार जेडीयू से मैदान में हैं।
दोनों यादव परिवारों में तल्खी के बीच बिहार की सियासी फिजाओं में यह चर्चा थी कि तेज प्रताप जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, उनकी पत्नी उनके खिलाफ मैदान में उतरेंगी। चुनाव (Bihar Assembly election 20202) की घोषणा के साथ ही यह चर्चा होने लगी थी कि तेजस्वी ने महुआ सीट छोड़ने का मन बना लिया है। हालांकि, इसके लिए जो वजह बताई जा रही थी, असल कारण इससे अलग है। लोग मान रहे हैं कि अगर पत्नी को उनके खिलाफ चुनाव लड़ना होगा तो वह उनके खिलाफ हसनपुर सीट से भी खड़ी हो सकती हैं।
नामांकन दाखिल करने से पहले जब तेज प्रताप से पूछा गया कि उन्होंने सीट क्यों बदली है, तो उनका जवाब था कि हसनपुर का विकास नहीं हुआ है, इसलिए मैं यहां से चुनाव लड़ने आया हूं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महुआ में विकास की गंगा बह चुकी है या तेज प्रताप ने हार के डर से सीट बदली है। स्थानीय समीकरण भी इसी ओर इशारा करते हैं कि महुआ का रण तेज प्रताप के लिए इस बार 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह आसान नहीं रहने वाला था और 2010 का परिणाम रिपीट हो सकता था। वैसे, 2010 में हुए विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो साल 2000, 2005 के फरवरी-अक्टूबर और 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार ने ही इस सीट से जीत दर्ज की है।
पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और आरजेडी साथ थीं। ऐसे में यादवों और मुस्लिमों की अच्छी खासी संख्या वाली महुआ सीट से तेज प्रताप आसानी से चुनाव जीत गए थे। लेकिन, इस बार नीतीश और बीजेपी साथ हैं। माना जा रहा है कि कोईरी-कुर्मी सहित अगड़ी और अति पिछड़ी जातियों के वोटर मिलकर तेज प्रताप के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते थे। इसके अलावा जेडीयू ने राजद के पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन की बेटी आशमा परवीन को महुआ से अपना प्रत्याशी बनाकर घेरेबंदी कर दी थी। एनडीए की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी होने की वजह से अल्पसंख्यक वोट भी राजद के खाते में एकमुश्त जाते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में तेज प्रताप यादव का यहां से चुनावी मैदान में उतरना जोखिम भरा होता।
बदले हुए स्थानीय समीकरण के अलावा क्षेत्र के लोगों की नाराजगी भी तेज प्रताप के सीट बदलने की वजह मानी जा रही है। तेज प्रताप चुनाव जीतने के बाद महुआ नहीं गए हैं और लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है। पिछले दिनों महुआ के कुछ युवा अपनी मांगों के लेकर तेज प्रताप के आवास पर भी पहुंचे थे, लेकिन उन्हें गेट के अंदर नहीं घुसने दिया गया था। इससे स्थानीय वोटरों में नाराजगी थी।
अब सवाल उठता है कि तेज प्रताप ने महुआ से 60 किलोमीटर दूर हसनपुर सीट को क्यों चुना। हसनपुर भी यादव बहुल सीट माना जाती है और कुशवाहा वोटरों की भी संख्या ठीकठाक है। ऐसे में तेज प्रताप यादव अपने लिए इसे सुरक्षित सीट मानकर यहां से मैदान में उतर रहे हैं। यहां उनका मुकाबला उन्हीं के यादव समाज के जेडीयू उम्मीदवार राजकुमार राय से है।