बिहार: चुनावी साल आते ही बढ़ी सियासी चाल, मिलने लगे दल व दिल …

 चुनावी वर्ष में प्रवेश करते ही बिहार में दल-दिल मिलने लगे हैं। राजद ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की बिहार पर नजरे-इनायत होने लगी है। संगठन को चुस्त-दुरुस्त करना शुरू कर दिया गया है। भाजपा की लगातार बैठकें होने लगीं हैं। आरएसएस नेताओं के दौरे बढ़ गए हैं। विस्तार के लिए जदयू ने भी जोर लगा दी है।

चार साल पहले 26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार ने शपथ ली थी। अगले 26 मई के पहले केंद्र में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी हो जानी है। कर्नाटक के नतीजे के बाद देश धीरे-धीरे चुनौवी मोड में आने लगा है। पार्टियां नफा-नुकसान के आधार पर पैंतरे लेने लगी हैं।

बिहार की कुल 40 संसदीय सीटें सियासी दलों के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं। पिछली बार राजग को 31 इनमें नसीब हुईं थीं। नौ में पूरे विपक्ष की हिस्सेदारी थी। यहां के सियासी बयार का भी मायने और महत्व है। यही कारण है कि राष्ट्रीय के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। जोकीहाट उपचुनाव में कड़ी टक्कर में फंसे जदयू एवं राजद जून के पहले पखवारे से रेस हो जाएंगे। हार-जीत के हिसाब से वोटों की छीना-झपटी होगी।

भाजपा की सबसे तेज दौड़

चुनावी वर्ष में भाजपा सबसे तेज दौड़ रही है। महासंपर्क अभियान का प्रथम चरण 26 मई से शुरू हो चुका है, जो 11 जून तक चलेगा। दूसरा चरण 23 जून से छह जुलाई तक चलना है। आम आवाम तक पहुंचने की बड़ी तैयारी है। नमो ऐप के जरिए बूथ स्तर तक केंद्र सरकार के कार्यों एवं योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। विशेष मुहिम चलाकर जिला, मंडल एवं बूथ स्तर के पदाधिकारियों को नमो ऐप से जोड़ा जा रहा है, जिसमें केंद्रीय योजनाओं का जिक्र है। मुद्रा एवं उज्ज्वला योजना की रफ्तार बढ़ा दी गई है।

हर बूथ पर जदयू के 10 यूथ

जदयू को कैडर वाली पार्टी बनाया जा रहा है। प्रदेश में पार्टी के करीब तीन लाख सक्रिय सदस्य हैं, जिन्हें 25-25 सदस्य बनाने का टास्क दिया गया है। इस तरह सदस्यों की कुल संख्या 75 लाख हो जाएगी। चुनाव जीतने के लिए प्रत्येक बूथ पर जदयू के 10-10 कार्यकर्ता तैनात किए जा रहे हैं, जो विभिन्न जातियों-वर्गों के होंगे। सबके मोबाइल नंबर जदयू कार्यालय में जमा हैं। एक क्लिक पर कोने-कोने में संदेश चला जाएगा। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार के मुताबिक नीतीश कुमार का न्याय के साथ विकास का नारा ही जदयू की सबसे बड़ी तैयारी है।

तेजस्वी को याद आ रहे लालू

गरीबों और गांवों में लालू प्रसाद यादव की पुरानी पैठ को बरकरार रखने की कोशिश में तेजस्वी यादव जुट गए हैं। बयानों एवं संबोधनों में लालू का जिक्र जरूर करते हैं। समर्थकों को समझाना चाहते हैं कि उनके पिता को साजिशन फंसाया गया है। प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं कि आरक्षण बचाने और पिछड़ों का पक्ष लेने के चलते लालू पर गाज गिरी। लोकसभा चुनाव में राजद को सिर्फ चार सीटें मिली थीं, किंतु विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद से हौसले बुलंद हैं। तेजस्वी रफ्तार को बनाए रखने की कोशिश में हैं।

ताकत बढ़ाने में जुटी कांग्रेस

कर्नाटक से ऊर्जा लेकर कांग्रेस के कदम बिहार की ओर बढ़ चले हैं। बिहार से इस दल के सिर्फ दो सांसद हैं। संयुक्त बिहार में कभी 54 में 48 सांसद हुआ करते थे। पराश्रित होकर पुरानी प्रतिष्ठा खो चुकी कांग्रेस अब ताकत बढ़ाने में जुटी है। राजद से गठबंधन के बावजूद जड़ों की तलाश है। बिहार के लिए दो सचिव नियुक्त कर दिए गए हैं। तीसरी की तैयारी है। प्रदेश को तीन हिस्से में बांटकर सचिवों की ड्यूटी लगाई जा रही है। केंद्र सरकार के चार साल की असफलताओं को गांव-गांव में फ्लैश करना है। बिहार में सत्ता परिवर्तन को भी मुद्दा बनाना है

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