बिहार: कारतूस तस्करी केस में आर्म्स सेक्शन का कार्यपालक सहायक गिरफ्तार

पुलिस ने विशाल गन हाउस के खरीद-बिक्री रजिस्टर की जांच में पाया कि इसमें अविनाश कुमार सहित दो अन्य संदिग्धों के नाम दर्ज हैं। इनमें एक व्यक्ति का नंबर झारखंड का फर्जी मोबाइल नंबर पाया गया है, जिससे रैकेट की व्यापकता और संगठित नेटवर्क की आशंका गहराई है।

कारतूस तस्करी से जुड़े एक बड़े मामले में पूर्णिया के केहाट थाना और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की संयुक्त टीम ने खगड़िया समाहरणालय के सामान्य शाखा में कार्यरत आर्म्स सेक्शन के कार्यपालक सहायक अविनाश कुमार को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी सोमवार शाम लगभग 6:30 बजे खगड़िया जिले के कचहरी पथ से की गई।

इससे पहले, पुलिस ने इसी मामले में पूर्णिया स्थित विशाल गन हाउस के संचालक इंद्रजीत कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इंद्रजीत से पूछताछ के दौरान अविनाश कुमार का नाम सामने आया, जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।

मृत लाइसेंसधारियों के नाम पर जारी हो रहे थे कारतूस
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अविनाश कुमार और इंद्रजीत कुमार के बीच गहरी सांठगांठ थी। आरोप है कि अविनाश ने खगड़िया निवासी जगदीश प्रसाद निराला और शेखपुरा के एक मृत लाइसेंसधारी के बंद पड़े लाइसेंसों को अवैध रूप से इंद्रजीत को उपलब्ध कराया। इन लाइसेंसों का इस्तेमाल कर इंद्रजीत ने जून 2025 में 90 कारतूस विभिन्न तिथियों में जारी कराए, जबकि जगदीश प्रसाद निराला की मृत्यु जुलाई 2024 में हो चुकी थी। सूत्रों के मुताबिक, अविनाश मृत लोगों के जमा लाइसेंस को अवैध राशि लेकर इंद्रजीत को सौंपता था। इसके बाद इन लाइसेंसों के सहारे इंद्रजीत बिहार के अलग-अलग जिलों से कारतूस खरीदता और गिरोहों के बीच सप्लाई करता था।

हाजीपुर से हुआ था पूरे रैकेट का भंडाफोड़
इस पूरे रैकेट का खुलासा 11 जुलाई 2025 को हुआ, जब एसटीएफ पटना ने हाजीपुर रेलवे स्टेशन के पास छापेमारी कर 5 अपराधियों को अवैध कारतूस, आर्म्स लाइसेंस बुक और अन्य सामानों के साथ गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि जब्त लाइसेंस बुक संख्या 22/2008 के नाम से जारी है, और संबंधित लाइसेंसधारी की मृत्यु एक वर्ष पहले ही हो चुकी है। गिरफ्तार अभियुक्तों ने यह भी बताया कि वे उक्त लाइसेंस पर पूर्णिया के विशाल गन हाउस से कारतूस खरीदकर हाजीपुर बेचने आए थे। इस सिलसिले में हाजीपुर रेल थाना कांड संख्या–112/2025 दर्ज किया गया।

पुलिस ने विशाल गन हाउस के खरीद-बिक्री रजिस्टर की जांच में पाया कि इसमें अविनाश कुमार सहित दो अन्य संदिग्धों के नाम दर्ज हैं। इनमें एक व्यक्ति का नंबर झारखंड का फर्जी मोबाइल नंबर पाया गया है, जिससे रैकेट की व्यापकता और संगठित नेटवर्क की आशंका गहराई है। पुलिस फिलहाल पूरे नेटवर्क की कड़ियों को खंगाल रही है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां होंगी।

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