बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बन पाया पंजाब

हर साल ही में गर्मियों में बिजली की मांग पहले से अधिक बढ़ जाती है। वर्ष 2023 में 15325 मेगावाट तक बिजली की मांग पहुंच गई थी। इस दौरान लोगों को बिजली कट का भी सामना करना पड़ा था। गर्मियों में तेज आंधी-तूफान होने के चलते कई जिलों में एक दो दिन भी बिजली बाधित रही। पिछली सरकारों ने भी बिजली की पूरी सप्लाई लाइन बदलने का दावा किया था, लेकिन अभी तक इसका काम पूरा नहीं हो पाया है।

पंजाब में बिजली की किल्लत दूर करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास करने का दावा किया जाता है, लेकिन पंजाब अभी तक बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बन पाया है। गर्मियों के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं। 

धान की फसल की रोपाई के लिए सरकार अलग से तारीखें तय करती है, ताकि इस दौरान बिजली का अधिक लोड न बढ़े और किसानों को जरूरत मुताबिक बिजली उपलब्ध करवाई जा सके। इसी तरह गर्मियों में बिजली की मांग को कम करने के लिए पिछले साल सरकारी कार्यालयों के समय में भी बदलाव किया गया। 

300 यूनिट फ्री बिजली के लिए वर्ष 2024-25 के बजट में सरकार ने 7780 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इसी तरह किसानों को निशुल्क प्रदान के लिए भी 9300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हाल ही में सरकार ने 540 मेगावाट क्षमता वाले पूर्व गोइंदवाल साहिब थर्मल पावर प्लांट को भी खरीदा, ताकि बिजली क्षमता बढ़ाई जा सके, लेकिन इन सबसे बिजली की किल्लत की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।

पावरकॉम के अनुमान के मुताबिक इस बार गर्मियों में बिजली की मांग 16000 मेगावाट को भी पार कर जाएगी। इस कारण लोड भी बढ़ेगा। पंजाब का मौजूदा बिजली सिस्टम इतना लोड सहने के हालात में नहीं है, लिहाजा लोगों को बिजली की कटौती का सामना करना पड़ेगा। 

बता दें कि 300 यूनिट मुफ्त बिजली की सुविधा के बाद इसकी चोरी भी बढ़ गई है। मुफ्त बिजली लेने के लिए एक ही घर में दो-दो कनेक्शन ले लिए गए हैं। खपतकारों की ओर से अपने दो महीनों के बिजली बिल को 600 यूनिट से कम रखने के लिए मीटरों की रीडिंग को कम करा लिया जाता है। काफी केसों में इनमें पावरकॉम में ठेके पर रखे मीटर रीडरों की मिलीभगत भी सामने आई। कुछ पैसों के लालच में मीटर रीडर यह काम करके पावरकॉम व सरकार को चूना लगाते हैं। इसी के चलते पावरकॉम ने 2023-24 में करीब 45 मीटर रीडरों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। 

हालांकि, पावरकॉम की ओर से समय-समय पर चेकिंग अभियान छेड़कर बिजली चोरों को पकड़ कर उन पर जुर्माना भी ठोका जाता है। सबसे अधिक बिजली चोरी बॉर्डर के इलाकों में हो रही है। तरनतारन सर्कल की डिवीजन भिखीविंड व पट्टी इस मामले में सबसे आगे हैं। वहीं वेस्ट जोन में बठिंडा, फिरोजपुर, श्री मुक्तसर साहिब सर्कलों में बिजली चोरी ज्यादा है। यहां तक कि 17 फीडर ऐसे हैं, जहां 50 से 60 फीसदी लॉस है। साल 2023-24 में 50 प्रतिशत घाटे वाले फीडरों की संख्या बढ़कर 362 से 414 हो गई है। पावरकाॅम के बार्डर व वेस्ट जोन में 158 फीडर ऐसे हैं, जहां लाइन लास 60 प्रतिशत से अधिक हो गया है। 

बैकअप प्लान न होने के चलते होती है दिक्कत
कमेटी ऑफ रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन एंड सोसाइटीज (मेगा) के प्रधान राजविंदर सिंह ने कहा कि हर साल गर्मियों में बिजली की किल्लत की समस्या से निपटने के लिए विभाग कोई तैयारी नहीं करता है। कोई बैकअप प्लान न होने के चलते ही अकसर लोगों को बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ता है। पिछली गर्मियों में बारिश व तेजी आंधी के बाद लोगों को काफी समस्या झेलनी पड़ी थी। गर्मियों में अकसर ये हालात हो जाते हैं कि कई बार पूरा-पूरा दिन बिजली की आपूर्ति नहीं होती है।

अभी से लगने लग गए कट, आगे क्या होगा 
भारतीय जनता पार्टी पंजाब के पूर्व महासचिव जीवन गुप्ता ने कहा कि गर्मियों की शुरुआत हुई है और अब भी से लोगों को बिजली कट का सामना करना पड़ रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में क्या हाल होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दो महीने में बिजली की मांग उच्चतम स्तर पर होगी, लेकिन सरकार की इसे लेकर कोई तैयार नहीं है, जिससे साफ है कि लोग गर्मियों में बिजली की किल्लत सहने के लिए तैयार हो जाएं। 

उन्होंने कहा कि सरकार बड़े-बड़े दावे तो कर रही है, लेकिन मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। अगर कृषि क्षेत्र की जरूरत पूरी की जाती है तो इंडस्ट्री पर कट लगा दिया जाता है। वहीं अगर इंडस्ट्री की मांग पूरी करनी होती है तो अन्य क्षेत्र में कटौती की जाती है। पिछले कुछ सालों में पंजाब में यही हालात चल रहे हैं। 

लोगों की बिजली की मांग पूरी करने में सरकार पूरी तरह से असफल साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि बिजली के रेट्स चुपचाप पिछले कुछ सालों बढ़ाए जा रहे हैं और लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। मौजूदा सरकार ने पिछली सरकारों के मुकाबले कितनी सब्सिडी दी है, इसकी एक रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए और सच्चाई लोगों के सामने आ जाएगी।

किसानों की मांग भी नहीं हो रही पूरी, आने वाले सालों में गंभीर होगा संकट
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रधान बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों को धान की फसल की रोपाई के दौरान बिना रुकावट 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जरूरत होती है, लेकिन इसे प्रदान करने में सरकार असफल हो रही है। 

उन्होंने कहा कि 100 रुपये प्रति लीटर डीजल लेकर किसान फसल उगाने में अगर लग जाएंगे तो कहां से लाभ प्राप्त करेंगे। इस समय में जो अनाज पैदा किया जा रहा है, वह आने वाले कुछ समय की जरूरत तो पूरी कर देगा, लेकिन 2030 तक गंभीर संकट पैदा होने वाला है। दुनिया के पास अनाज खत्म हो जाएगा और ऐसे हालात से निपटने के लिए सरकार ठोस कदम नहीं उठा रही है। 

धान की रोपाई के दौरान किसानों को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करने की जरूरत है और वह अलग-अलग स्तर पर सरकार के समक्ष ये मांग पहुंचा भी चुके हैं, लेकिन फिर भी हर साल हालात में कुछ सुधार नहीं हो रहा है। किसानों ने पूरे देश के लिए अनाज पैदा करना है। अगर उनकी ही मांग पूरी नहीं की जा सकती है, तो इतने बड़े सिस्टम का क्या फायदा है।

बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा: चीमा
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सभी को 300 यूनिट प्रति माह मुफ्त बिजली देने की गारंटी हमारी सरकार बनने के कुछ महीनों के भीतर ही पूरी कर दी गई, जिसके तहत पंजाब के 90 प्रतिशत से अधिक घरों में बिजली का बिल शून्य आ रहा है। मान सरकार ने निजी थर्मल पावर प्लांट खरीदकर पंजाब के लोगों को दे दिया, ताकि गर्मियों के दौरान बिने रुके लोगों को बिजली की सप्लाई प्रदान की जा सके। इसके अलावा बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भी सरकार की तरफ से प्रयास किया गया है। कई महत्वपूर्ण काम चल रहे हैं, जिनमें रोपड़ में एक नए 400 केवी सब स्टेशन
का निर्माण, धनांसु, बेहमान जस्सा सिंह में सब स्टेशनों को मजबूत करना शामिल है। इसके अलावा लुधियाना में 220 केवी सब स्टेशन जल्द ही चालू होने वाला है। साथ ही पावर स्टेशन को मजबूत करने के लिए सरकार ने नई भर्ती भी की है।

उत्पादन पर काम नहीं कर रही सरकार : गिल
शिरोमणि अकाली दल पंजाब के महासचिव रणजीत सिंह गिल ने कहा कि बिजली की मांग हर साल बढ़ रही है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार उत्पादन पर काम नहीं कर रही है। प्रदेश में अकाली-भाजपा सरकार के समय ही सभी थर्मल प्लांट लगाए गए थे, जबकि उसके बाद प्लांट लगाने पर काम नहीं किया गया। हम लगातार शहरीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर बिजली के पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस बार गर्मियों में बिजली का लोड बहुत ऊपर जाने वाला है, लेकिन उससे निपटने के लिए सरकार के पास कुछ खास इंतजाम नहीं है।

केवल जरूरतमंद वर्ग को ही मिलनी चाहिए मुफ्त बिजली : टिवाणा
पंजाबी यूनिवर्सिटी से जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर बलविंदर सिंह टिवाणा का मानना है कि मुफ्त की सुविधाएं पंजाब की आर्थिकता को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। अगर सरकार ने अपने वादे के मुताबिक मुफ्त बिजली देनी है, तो केवल जरूरतमंद वर्ग को ही दी जाए। जो लोग इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे हैं, उन्हें भी अगर आप मुफ्त बिजली दोगे, तो पंजाब फिर कैसे आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करके इसमें जरूरी संशोधन करना चाहिए।

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