अमानगढ़ इस समय अपने घने जंगल और बाघों के लिए जाना जा रहा है। वहीं, जल्द ही कार्बेट की तर्ज पर यहां तैयार हो रहा ग्रासलैंड भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। करीब पांच हेक्टेयर में यह ग्रासलैंड तैयार हो रहा है। यहां पर वन्य जीवों के दीदार आसान हो जाएंगे।
अमानगढ़ कार्बेट पार्क का ही हिस्सा था, लेकिन राज्य बंटवारे में यह बिजनौर के पास रह गया। पहले यह कार्बेट पार्क का बफर जोन था। करीब 10 साल पहले इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा भी मिल गया। आंकड़ों पर नजर डालें तो यह रेंज 9500 हेक्टेयर में फैली है और अब यहां पर करीब 32 बाघ हैं।
अभी तक यहां पर जंगल सफारी होती तो है, लेकिन उस इन रास्तों के दोनों ओर घना जंगल है। ऐसे में यहां पर वन्य जीव तभी नजर आते हैं, जब वह सड़क पर आ जाए या फिर खाली जगहों में हो। जबकि कार्बेट पार्क में मौजूद बड़े बड़े ग्रासलैंड में आसानी से वन्य जीवों का दीदार हो जाता है।
अब अमानगढ़ में भी वन विभाग ग्रासलैंड तैयार करा रहा है। अमानगढ़ में खाली पड़ी करीब पांच हेक्टयर जमीन में उत्तराखंड से मंगाई गई वेटीवर नाम की घास लगवाई जा रही है। यह घास हाथियों को बहुत पसंद है।
इन दिनों खूब दिख रहे गिद्ध और जंगली मुर्गे
अमागढ़ में पर्यटकों को बाघों के दीदार तो हो ही रहे हैं, इसके साथ ही जंगली मुर्गे और गिद्ध भी पर्यटकों को दिख रहे हैं। वन अफसरों की माने तो अमानगढ़ में जंगली मुर्गो की बड़ी संख्या है। इनका रंग बहुत ही चटक होता है। यह पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं।
ग्रासलैंड पर काम चल रहा है…
अमानगढ़ वन क्षेत्राधिकारी खुशबू उपाध्याय ने बताया कि ग्रासलैंड में घास लगवाई जा रही है। यह काफी हद तक तैयार हो चुका है। बरसात में यह घास काफी बड़ी हो जाएगी। इस पर लगातार काम चल रहा है।