यूरोपीय संघ (ईयू) में बासमती चावल को विशिष्ट जियोग्राफिकल इंडीकेशंस (जीआइ) टैग के लिए भारत के आवेदन का पाकिस्तान ने विरोध करने का फैसला किया है। किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को जीआइ टैग से खास पहचान मिलती है। प्रधानमंत्री इमरान खान के वाणिज्य मामलों के सलाहकार रजाक दाऊद की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया।
इस बैठक में वाणिज्य सचिव, बौद्धिक संपदा संगठन के अध्यक्ष, पाकिस्तान के चावल निर्यात संघ (रीप) के प्रतिनिधियों और कानूनी क्षेत्र से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया। बैठक में ‘रीप’ के प्रतिनिधियों का मानना था कि पाकिस्तान बासमती चावल का बड़ा उत्पादक है और भारत का विशिष्टता का दावा अनुचित है। जबकि भारत ने अपने आवेदन में कहा है कि बासमती चावल भारतीय मूल का उत्पाद है। यह आवेदन यूरोपीय यूनियन के आधिकारिक जर्नल में 11 सितंबर को प्रकाशित हुआ था।
बैठक में रजाक ने कहा कि यूरोपीय यूनियन में पाकिस्तान भारत के आवेदन का जोरदार विरोध करेगा और उसे बासमती चावल का विशिष्ट जीआइ टैग हासिल करने से रोकेगा। उन्होंने ‘रीप’ और संबंधित पक्षकारों की चिंताओं का समर्थन किया और आश्वस्त किया कि बासमती पर उनके दावे की रक्षा की जाएगी।
इन उत्पादों को मिल चुका है GI टैग
भारत के कई अत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इसमें चंदेरी- कांजीवरम की साड़ी और दार्जिलिंग चाय समेत अब तक 300 से ज्यादा उत्पाद शामिल हैं। महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी, कोल्हापुरी चप्पल, तिरुपति के लड्डू, मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं।