बहुत हुआ अब हमे कृषि कानून की वापसी के कम कुछ भी नहीं चाहिए : किसान संगठन

केंद्र सरकार के साथ चल रही लंबी वार्ताओं के बाद किसान संगठनों ने तय किया है कि अब वह सरकार से दो टूक बात करेंगे कि, कानून वापस ले रहे हैं या नहीं। कीर्ति किसान यूनियन, पंजाब के उपाध्यक्ष राजेंदर दीपसिंह वाला ने बताया, “अब सरकार से दो टूक बात होगी कि क्या कानून वापस होंगे या नहीं। कोई चर्चा और नहीं की जाएगी अब तक सभी मुद्दों पर बात हो चुकी है हमें कानून की वापसी के कम कुछ भी नहीं चाहिए, संशोधन भी नहीं।

भारत बंद के आह्वान पर राजेंदर दीप सिंह कहते हैं. एक दिन का भारत बंद से यह देखना कि आंदोलन से कितने लोग जुड़ चुके हैं। इसका स्वरूप बड़ा हो चुका है। यह जनआदोलन तो पहले ही बन चुका है। जब हम लोगों को जगा रहे थे तब मुश्किल था। अब लोग जाग गए हैं तो मुश्किल नहीं है। हमारी राह आसान हो गई है। सरकार के लिए मुश्किल है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और मजदूर संगठन सीटू से जुड़े कर्मचारी, मजदूर 5 दिसंबर को कसान आंदोलन के समर्थन में टिकरी व सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन करेंगे। 

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदे भध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी, सीटू प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा व महासचिव जय भगवान ने बता के किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर खुले आसमान के नीचे बैठे हैं, लेकिन सरकार को करोड़ कसानों की रोजी-रोटी की चिंता नहीं है। सरकार की प्राथमिकता चंद देसी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों का मुना है। मजदूर, किसान, कर्मचारी जो असल में देश निर्माता है, उसके खिलाफ सरकार ने युद्ध छेड़ रखा है। 

भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्ररहां), पंजाब के ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटर हरिंदर सिंह कहते हैं, हम नए कृषि कानून वापस लेने के साथ-साथ स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को भी लागू करने की बात कर रहे हैं। सरकार ने रास्ता खोलने की अपील की है, लेकिन जब तक संसद सत्र नहीं बुलाया जाता हम टस से मस नहीं होंगे। 

किसान संगठनों के साथ हुई सरकार की कई दौर की वार्ता के बाद सरकार की ओर से नए कृषि कानूनों में संशोधनों पर पुनर्विचार को तो तैयार हुई, लेकिन किसान संगठन इन कानूनों की वापसी से कम पर तैयार नहीं हैं। महिला किसान आकार मंच की संयोजक कविता कुरुघंटी कहती हैं, सरकार कृषि कानूनों में केवल संशोधनों पर बात की है, लेकिन किसान इसे वापस लेने की मांग पर ही अड़े हैं। बातचीत के दौरान कृषि कानूनों के हर पहलू पर चर्चा हुई और सरकार विवाद पर एसडीएम कोर्ट में जाने के प्रावधान पर पुनर्विचार करने को भी तैयार है।

दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा, हम किसान संगठनों के निर्णय के साथ हैं। इसके साथ ही, किसानों के कई मुद्दे हैं। गन्ना भुगतान को भी डिजिटल इंडिया से जोड़ देना चाहिए। गन्ना मिल पर डालते ही तुरंत भुगतान हो जाए। एक देश एक बिजली का रेट का सवाल आएगा।

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