कोरोना महामारी को लेकर उपजे भय के वातावरण में जी रहे लोगों को वैक्सीन का इंतजार था। टीकाकरण के तीसरे दिन मंगलवार तक कई राज्यों में डोज बेकार हो जाने की जानकारी सामने आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पांच मिलीमीटर की मात्रा के हिसाब से एक वायल (शीशी) से 10 लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है। बच गई थोड़ी-बहुत मात्रा भी फेंकी नहीं जा सकती है। ऐसे में कई जगह कर्मचारियों के कम संख्या में पहुंचने और कई जगह टीका लगवाने वालों की अपेक्षित संख्या नहीं होने से डोज बर्बाद हो रही है।
सबसे ज्यादा खराब स्थिति पंजाब की जहां अभी तक 156 डोज की बर्बादी हुई है। बंगाल की ममता सरकार ने इसपर काबू पाने के लिए नया निर्देश जारी किया है। बिहार और मध्य प्रदेश में 10 लोगों के पहुंचने पर ही शीशी खोली जा रही है। वैक्सीन की एक शीशी में दस खुराक होती है। शीशी को आइस बाक्स से निकाल लिए जाने के बाद जल्द इस्तेमाल जरूरी है। खुल जाने के बाद शीशी को सिर्फ चार घंटे तक ही रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। इसके बाद यह खराब हो जाती है।
पंजाब में मुहिम की गति अत्यंत धीमी
पंजाब में टीकाकरण मुहिम की गति अत्यंत धीमी है। राज्य में तीन दिन में 156 डोज खराब हो चुकी हैं। स्वास्थ्यकर्मी ही वैक्सीन लगवाने से पीछे हट रहे हैं। राज्य के अमृतसर में सर्वाधिक 32, पटियाला में 30, मोगा व बठिंडा में 16-16, होशियारपुर व कपूरथला में 13-13, फतेहगढ़ साहिब में 12, जालंधर और नवांशहर में 10-10, जबकि मुक्तसर में चार डोज खराब हो चुकी है।
लुधियाना और गुरदासपुर में कोई डोज खराब नहीं
पंजाब के लुधियाना और गुरदासपुर में कोई डोज खराब नहीं हुई। डीएमसी और सीएमसी में दस लोगों के जमा होने पर ही शीशी खोली जा रही है। इससे एक बार में ही पूरी शीशी का इस्तेमाल हो जाता है।
झारखंड में दस लोगों के आने पर ही खोली जाती है शीशी
झारखंड ने बर्बादी रोकने के लिए अच्छा कदम उठाया है। दस लोगों के एकत्र होने के बाद ही शीशी खोली जा रही है। अभी तक सात-आठ डोज से ज्यादा बर्बाद नहीं हुई है। डाक्टर, नर्स आदि में टीके को लेकर कोई घबराहट नहीं है, लेकिन कुछ स्वास्थ्य कर्मियों में संशय है।
मध्य प्रदेश में केवल 0.4 फीसद वैक्सीन का उपयोग नहीं हो सका
मध्य प्रदेश में दो चरणों के दौरान वायल खुलने के बाद केवल 0.4 फीसद वैक्सीन का ही उपयोग नहीं हो सका है। राज्य में वायल खुलने के बाद वैक्सीन के उपयोग नहीं होने का फीसद बहुत ही कम है। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला के अनुसार, सभी टीमों को पहले ही जब तक छह से आठ लोग न आ जाएं, तब तक शीशी नहीं खोलने का निर्देश दिया गया है।
बिहार में अपेक्षित संख्या जुटने पर ही खोली जा रही है शीशी
टीकाकरण के लिए अपेक्षित संख्या में लोगों की मौजूदगी के बाद ही बिहार में शीशी खोली जा रही है। अगर किसी शीशी में कुछ डोज बच रहे हैं तो वहां उपस्थित उन लोगों को टीका लगाया जा रहा, जिनका पंजीकरण है, लेकिन शेड्यूल में आगे की तारीख है। मामूली मात्रा में डोज बर्बाद होने के बाद ऐसी व्यवस्था की गई है। 16 जनवरी को किशनगंज में आठ और जमुई में अभी तक 11 डोज बर्बाद हुई है।