केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विशेषकर बलात्कार जैसे घृणतम अपराधों के संदर्भ में आपराधिक न्याय प्रणाली में देरी पर बहस के बीच भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अपराधी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) को देश के और अनुकूल बनाने के लिए उन्हें संशोधित करने के अपने सरकार के दृढ़ निश्चय पर बल दिया है।
शाह का बयान ऐसे समय में आया है जब गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से आईपीसी और सीआरपीसी में आमूल-चूल बदलाव के लिए सुझाव मांगा है ताकि यह आधुनिक लोकतंत्र की आकांक्षाओं को परिलक्षित करे और त्वरित इंसाफ प्रदान करे।
एक सरकारी बयान के अनुसार पुणे में पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों के 54 वें सम्मेलन में ‘गृहमंत्री ने आईपीसी और सीआरपीसी को आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था के और अनुकूल बनाने के लिए उनमें बदलाव लाने के अपनी सरकार के निश्चय को प्रमुखता से सामने रखा।’
2012 के कुख्यात निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या कांड समेत घृणतम अपराधों में अपराधियों को दंड मिलने में देरी को लेकर हाल ही में अलग अलग मंचों पर जबर्दस्त बहस चल रही है। हालांकि रविवार को जोधपुर में एक कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने कहा कि इंसाफ कभी भी तत्क्षण नहीं हो सकता और यदि यह बदला लेने का रूप ले लेगा तो अपना मूल स्वभाव गंवा बैठेगा।