भारत में पेट्रोल और डीजल की बिक्री में अप्रैल महीने के दौरान कम वृद्धि हुई जबकि रसोई गैस की खपत गिरी है क्योंकि रिकॉर्ड उच्च कीमतों के कारण मांग में कमी आई है। रविवार को आए उद्योग के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है। मार्च महीने की समान अवधि की तुलना में अप्रैल में पेट्रोल की बिक्री में 2.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि डीजल की मांग लगभग सपाट थी। वहीं, रसोई गैस एलपीजी की खपत में अप्रैल के दौरान महीने-दर-महीने आधार पर 9.1 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई जबकि महामारी की अवधि के दौरान भी एलपीजी की खपत में वृद्धि देखी जा रही थी।
गौरतलब है कि सरकारी तेल कंपनियों ने 22 मार्च को पेट्रोल और डीजल की दरों में 137 दिन के बाद संशोधन करके एक स्तर पर रुकी हुई कीमतों को बढ़ा दिया था। हालांकि, इस अवधि के दौरान कच्चे माल (कच्चे तेल) की लागत में 30 अमरीकी डालर प्रति बैरल तक की वृद्धि देखी गई थी, जिसका कुछ भार ग्राहकों पर डालने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी। 22 मार्च से 6 अप्रैल के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई थी, जो दो दशक पहले ईंधन की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने के बाद से 16 दिनों की अवधि के दौरान अब तक की सबसे अधिक वृद्धि थी।
22 मार्च को रसोई गैस की कीमतें भी 50 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़कर 949.50 रुपये हो गईं थी, जो सब्सिडी वाले सिलेंडर की सबसे अधिक कीमत थी। कीमतों में वृद्धि ने खपत को नियंत्रित किया है। प्रारंभिक उद्योग डेटा के अनुसार, राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं द्वारा पेट्रोल की बिक्री अप्रैल के दौरान 2.58 मिलियन टन रही, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 20.4 प्रतिशत अधिक है और 2019 की अवधि की तुलना में 15.5 प्रतिशत अधिक है। हालांकि खपत, मार्च 2022 में 2.52 मिलियन टन की बिक्री से सिर्फ 2.1 प्रतिशत अधिक है।
देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल की बिक्री सालाना आधार पर 13.3 फीसदी बढ़कर 6.69 मिलियन टन हो गई। यह अप्रैल 2019 में बिक्री की तुलना में 2.1 प्रतिशत अधिक थी। लेकिन यह मार्च के दौरान 6.67 मिलियन टन की खपत से सिर्फ 0.3 प्रतिशत अधिक थी। वहीं, अप्रैल में, एलपीजी की खपत महीने-दर-महीने 9.1 प्रतिशत गिरकर 2.2 मिलियन टन हो गई। यह अप्रैल 2021 की तुलना में 5.1 प्रतिशत अधिक था।