केजीएमयू में मरीज का फेफड़ा फटने के मामले में जांच होगी। सीएमएस ने इसके लिए पांच सदस्यीय डॉक्टरों की कमेटी का गठन किया है। इसके साथ ही तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार के मुताबिक मरीज जयशंकर तिवारी के मौत के प्रकरण की जांच होगी। मरीज का फेफड़ा कैसे फटा, उसके इलाज में क्या लापरवाही हुई। ऐसी स्थिति में मरीज को बचाने के लिए क्या उपाय किए गए। हर मामले की विस्तृत जांच होगी। इसके लिए ट्रॉमा सेंटर के सीएमएस डॉ. यूबी मिश्रा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई है। इसमें वेंटिलेटर प्रभारी डॉ. जीपी सिंह, पल्मोनरी विभाग के डॉ. राजीव गर्ग, फॉरेंसिक विभाग के डॉ. अनूप वर्मा, जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार को शामिल किया गया है। यह टीम मरीज के इलाज का पूरा ब्योरा चेक करेगी। फेफड़ा फटने के कारण से लेकर मौत के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। ऐसे में यदि इलाज में लापरवाही पाई गई तो दोषियों पर कार्रवाई भी होगी।
शिफ्टिंग के बाद बिगड़ी थी हालत
दरअसल, प्रयागराज निवासी जयशंकर तिवारी (45) को ब्रेन हेमरेज हो गया था, जिसके बाद उन्हें सांस की दिक्कत भी बढ़ गई। भाई शिवकांत तिवारी ने जयशंकर को 24 मार्च को ट्रॉमा सेंटर में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर विभाग के आरआइसीयू में भर्ती कराया। उनका दावा है कि जयशंकर की हालत में सुधार था। अचानक, 17 अप्रैल को आरआइसीयू को क्रिटिकल केयर मेडिसिन को सौंप दिया गया। यहां इलाज कर रहा स्टाफ भी हटा दिया गया। ऐसे में मरीज जयशंकर को क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सीसीएम यूनिट में शिफ्ट कर दिया गया। यहां वेंटिलेटर पर शिफ्टिंग में लापरवाही हुई, जिससे मरीज को ऑक्सीजन का प्रेशर अधिक दे दिया गया। इससे मरीज का फेफड़ा फट गया। कारण, 16 अप्रैल के एक्स-रे में फेफड़ा सही था, वहीं शिफ्टिंग के बाद 18अप्रैल की एक्स-रे रिपोर्ट में फेफड़े की फटने की पुष्टि हुई।
परिजनों के बयान भी होंगे दर्ज
डॉ. एसएन शंखवार ने कहा कि जांच में परिजनों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। इसके लिए उन्हें फोन कर बुलाया जाएगा। दरअसल, परिजन शिवकांत तिवारी मृतक जयशंकर के भाई हैं। उन्होंने इलाज में लापरवाही के साथ-साथ कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने खुद को 12 वर्ष की अवस्था से राष्ट्रीय स्वयं सेवक का सदस्य बताया था। साथ ही केजीएमयू प्रशासन पर उपेक्षा का भी आरोप लगाया था।