सरयू नदी किनारे कपकोट के प्राचीन बौद्ध मंदिर बुद्धेश्वर के पास एक पत्थर पर बनी प्राचीनकाल की दो दुर्लभ मूर्तियां मिली हैं। इन मूर्तियों के कत्यूरी काल के होने की संभावना जताई जा रही है। स्थानीय लोगों ने पुरातत्व विभाग से मूर्तियों को संरक्षित करने की मांग की है।
पांच मार्च को कपकोट नगर पंचायत क्षेत्र के शिवालय वार्ड में खुदाई की गई थी। इसी दौरान वहां बुद्धेश्वर मंदिर के पास सरयू नदी किनारे सुंदर नक्काशी वाले एक पत्थर पर बनी दो दुर्लभ मूर्तियां मिलीं।
क्षेत्र के लोगों ने इस मूर्ति को बुद्धेश्वर मंदिर परिसर में रखवाया है। यह मूर्तियां देवी की प्रतीत हो रही हैं। इस तरह की नक्काशी वाली मूर्तियां कत्यूरी काल की मानी जाती हैं।
हरे रंग के पत्थर वाली ऐसी मूर्तियां बागनाथ, गरुड़ के बैजनाथ, जागेश्वर धाम, पाताल भुवनेश्वर और गंगोलीहाट के महाकाली मंदिर के पास जान्हवी नौला परिसर में स्थित मंदिर समूह में भी हैं।
कपकोट-कर्मी सड़क निर्माण कार्य के दौरान बुद्धेश्वर मंदिर में 14 वर्ष पहले भी भगवान शिव के गण नंदी की मूर्ति मिली थी, जिसे बागनाथ धाम में रखा गया है।
कपकोट के पूर्व प्रधान गणेश उपाध्याय का कहना है कि सरयू महात्म्य में भी बुद्धेश्वर मंदिर का वृत्तांत है लेकिन कभी खुदाई न होने से हकीकत पता नहीं चल पाई। इसलिए पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग को खुदाई कर मंदिर के इतिहास को सामने लाना चाहिए।
प्राचीनकाल में आपदा के दौरान बुद्धेश्वर मंदिर के जमीन में दबने की आशंका जताई जाती है। करीब 14 वर्ष पहले बुद्धेश्वर भगवान के दबे मंदिर का दरवाजा दिखाई दिया था। तब क्षेत्र के लोगों ने इस स्थल पर नए मंदिर का निर्माण कराया था।
– गोविंद सिंह कपकोटी निवासी कपकोट
संस्कृति विभाग की टीम शीघ्र ही बुद्धेश्वर मंदिर का स्थलीय निरीक्षण कर मूर्तियों का अध्ययन करेगी। उसके बाद ही मूर्ति के निर्माण काल का पता चल सकेगा। आवश्यक हुआ तो मूर्ति को संरक्षण में लिया जाएगा या संग्रहालय में रखा जाएगा।
– चंद्र सिंह चौहान, प्रभारी क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई, अल्मोड़ा