इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना वैधानिक जांच प्रक्रिया अपनाए प्रधानाध्यापक की बर्खास्तगी पर रोक लगाने के एकल पीठ के अंतरिम आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है और बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के मार्फत दाखिल विशेष अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने एकल पीठ से कहा है कि याचिका सुनकर दो माह में निर्णीत की जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा परिषद की अपील पर दिया है। 
मालूम हो कि याची नारायण जी यादव पचरूखा शिक्षा केंद्र प्राइमरी स्कूल रेवती, बलिया में छह दिसम्बर 1999 को सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। 27 सितंबर 2008 को प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति दी गई। विपक्षी तारकेश्वर सिंह ने शिकायत की कि याची की बीएड डिग्री फर्जी है। बीएसए बलिया ने ब्लाक शिक्षा अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया। उसने कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा। इसके बाद उसकी नियुक्ति ही रद्द कर दी गई, जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने राज्य सरकार व विपक्षियों से जवाब मांगा है और याची की बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है, जिसे परिषद ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए अपील खारिज कर दी है।
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