पेट्रोल नहीं पर दवाएं जरूर हो जाएंगी सस्‍ती, मोदी सरकार ला रही कीमतें तय करने का फाॅॅर्मूला

दवाओं की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार नई कीमत प्रणाली ला रही है. इसके तहत फार्मा उत्‍पादों के लिए नया प्राइस इंडेक्‍स बनेगा जो देश में दवा कीमतों पर नियंत्रण करेगा. इस प्राइस इंडेक्‍स में सभी दवाएं शामिल होंगी. फिलवक्‍त 850 दवाओं की कीमतों पर सरकार का नियंत्रण है. राष्‍ट्रीय फार्मास्‍युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) इन दवाओं की हर साल कीमत तय करती है. कीमतें तय करने का आधार थोकमूल्‍य कीमत सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) है. जो इस नियंत्रण दायरे से बाहर हैं वे कंपनियां अन्‍य दवाओं की कीमतें साल में 10 फीसदी से ज्‍यादा नहीं बढ़ा सकती हैं.

मोदी सरकार विकसित कर रही नया प्राइस इंडेक्‍स
मोदी सरकार ने जिस प्रणाली का प्रस्‍ताव किया है, उसके मुताबिक सभी दवाओं को नए फार्मास्‍युटिकल इंडेक्‍स में लाया जाएगा. दवा निर्माताओं को इंडेक्‍स के आंकड़ों के आधार पर दवाई की कीमतें तय करने का अधिकार होगा. टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा कि प्रस्‍ताव अंतिम चरण में है और इसे जून के अंत तक नोटिफाई कर दिया जाएगा. यह इंडेक्‍स न सिर्फ डब्‍ल्‍यूपीआई के आधार पर दवा की कीमतें तय करने वाली व्‍यवस्‍था की जगह लेगा बल्कि यह नॉन शिड्यूल्‍ड दवाओं की कीमतों का नियमन भी करेगा. यह प्रस्‍ताव नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय हुआ है, जिससे दवा कीमत नियंत्रण आदेश 2013 में बदलाव किया जाएगा. इसके लागू होने के बाद सभी दवाओं की कीमतें बदल जाएंगी.

सिर्फ 17 फीसदी दवाएं सरकार के नियंत्रण में
मौजूदा व्‍यवस्‍था में एक लाख करोड़ के फार्मा उद्योग का सिर्फ 17 फीसदी हिस्‍सा सरकार के नियंत्रण में है. हालांकि बिकने वाली सभी दवाओं की मात्रा के आधार पर सरकार करीब 24 फीसदी का नियमन करती है. फार्मा उद्योग ने दवाओं की कीमतों को डब्‍ल्‍यूपीआई के आधार पर तय होने का विरोध किया था. इसके बाद ही नया इंडेक्‍स लाने का प्रस्‍ताव हुआ. भारतीय फार्मास्‍युटिकल एलायंस के महासचिव डीजी शाह ने बताया कि सरकार चाहती है कि छोटी और मझोली दवा कंपनियां डब्‍ल्‍यूएचओ की गुणवत्‍ता शर्तों को पूरा करे लेकिन इसके लिए बड़े निवेश की जरूरत पड़ेगी. अगर उन कंपनियों को दवा की कीमतें बढ़ाने से रोका गया तो वे अपना ढांचा मजबूत नहीं कर पाएंगी और गुणवत्‍ता जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगी.

कैसे तय होती है दवा की कीमत
मौजूदा व्‍यवस्‍था में सरकार करीब 850 दवाओं की कीमतें तय करती है. यह मूल्‍य संशोधन डब्‍ल्‍यूपीआई के आधार पर होता है. अन्य सभी दवाओं का मूल्‍य सिर्फ 10 फीसदी तक बढ़ाने की छूट है. वहीं नीति आयोग ने प्रस्‍ताव किया है कि सभी दवाओं की कीमतें तय करने के लिए एक नया इंडेक्‍स बनाया जाए. इसमें जरूरी और अन्‍य सभी दवाएं शामिल होंगी. फार्मा विभाग इस इंडेक्‍स को तैयार कर रहा है और यह इस माह के अंत तक काम करने लगेगा. इससे अभी सरकार के नियंत्रण में जो 17 फीसदी दवाएं हैं वह बढ़कर 100 फीसदी हो जाएंगी.

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