मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ के पूर्व विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) प्रवीण कक्कड़ के घर आयकर छापा जारी रहने के बीच इंदौर की पुलिस कप्तान रविवार देर शाम मौके पर पहुंचीं. आयकर विभाग ने इस मुहिम में मध्यप्रदेश पुलिस के बजाय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की मदद ली है. चश्मदीद सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रुचि वर्धन मिश्र ने कक्कड़ के घर के दरवाजे पर तैनात सीआरपीएफ के एक कर्मी से पूछा कि किसी सियासी दल के कार्यकर्ता मौके पर धरना-प्रदर्शन के लिये तो नहीं आये?
इस सवाल का जवाब “न” में दिये जाने के बाद महिला पुलिस अधिकारी ने सीआरपीएफ कर्मी से अपना मोबाइल नम्बर साझा करते हुए कहा कि आयकर विभाग की छापामार मुहिम खत्म होने के बाद उन्हें इस बात की सूचना प्रदान की जाये कि यह अभियान पूरा हो चुका है. छापा स्थल पर पहुंचने का सबब पूछे जाने पर मिश्र ने “पीटीआई-भाषा” से कहा, “चूंकि आयकर छापों के बाद राजबाड़ा क्षेत्र में प्रशासन की अनुमति के बगैर एक सियासी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज धरना-प्रदर्शन किया था.
लिहाजा मैं विजय नगर क्षेत्र में एहतियातन राउंड लेने गयी थी. मैंने मौके पर (कक्कड़ के घर के बाहर) स्थिति का जायजा लिया. ” एसएसपी ने बताया कि उन्होंने कक्कड़ के घर के बाहर तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के अपने मातहत कर्मचारियों से मौके पर कानून-व्यवस्था की स्थिति की जानकारी भी ली.
चश्मदीद सूत्रों ने बताया कि कक्कड़ के घर के बाहर देर शाम एक शहर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) की अगुवाई में मध्यप्रदेश पुलिस के करीब 20 हथियारबंद जवान तैनात देखे गये. विजय नगर क्षेत्र के सीएसपी पंकज दीक्षित ने बताया, “मौके पर एकदम शांति है. हम यहां नियमित प्रक्रिया के तहत इसलिये तैनात हैं, ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति बनी रहे. ”
इस बीच, भाजपा के युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने इंदौर के पूर्व होलकर शासकों के ऐतिहासिक राजबाड़ा महल के सामने देवी अहिल्या की प्रतिमा के पास धरना-प्रदर्शन किया. कमलनाथ के करीबी लोगों पर आयकर विभाग के छापों को लेकर किये गये प्रदर्शन में शामिल दो कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के मुखौटे लगा रखे थे.
अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने दोनों मुखौटाधारियों पर 2,000 और 500 रुपये के नोट बरसाते हुए कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी की. सर्राफा पुलिस थाने के प्रभारी दिनेश भंवर ने बताया कि भाजयुमो के 11 कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इन पर बगैर प्रशासनिक अनुमति के धरना-प्रदर्शन कर लोकसभा चुनावों की आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है.