उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के मामले में नया खुलासा हुआ है। इन दंगों के आरोपित आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने अपने सीज़ बैंक खातों को खोलने के लिए याचिका दायर की है। न्यायालय 12 जनवरी 2021 को इस याचिका पर सुनवाई करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कड़कड़डूमा के मेट्रोपोलेटिन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने इस याचिका के संबंध में जाँच अधिकारियों और पुलिस से जवाब माँगा है।

उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के आरोपित ताहिर हुसैन द्वारा दायर की गई याचिका पर 5 जनवरी 2021 को सुनवाई होनी थी लेकिन मामले का दूसरा पक्ष उपस्थित नहीं हुआ था। नतीजतन इस याचिका पर सुनवाई के लिए 12 जनवरी 2021 की तारीख तय की गई है। इस याचिका में दंगों के आरोपित ताहिर हुसैन का पक्ष रखते हुए कहा गया है कि पुलिस ने उसके बैंक खातों को सील कर दिया है, जिसमें कथित तौर पर उसकी पूरी कमाई मौजूद है।
वह पिछले काफी समय से जेल में बंद है, जिसकी वजह से उसके पूरे परिवार का गुज़ारा काफी मुश्किल हो गया है। इसके आधार पर ताहिर हुसैन की तरफ से निवेदन किया गया है कि उसके सीज़ बैंक खातों को फिर से खोल दिया जाए, ताकि उसके परिवार का गुजर-बसर हो सके। याचिका में मुख्य रूप से यही कहा गया है कि अगर ताहिर हुसैन के बंद खाते खोल दिए जाते हैं तो उसके परिवार को आर्थिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इसके अलावा ताहिर हुसैन ने पुलिस द्वारा जब्त किया गया फोन भी वापस माँगा है। दंगों के आरोपित ताहिर की तरफ से माँग की गई है कि फोन उसके परिवार को सौंप दिया जाए। ताहिर के वकील ने दायर की गई याचिका में कहा है कि पुलिस ने उनके मुवक्किल का फोन जब्त किया है। पुलिस ने संभवतः जाँच प्रक्रिया पूरी करके ज़रूरी जानकारी ले ली होगी, इसलिए अब यह फोन वापस कर दिया जाए।
दरअसल जाँच एजेंसियों ने ताहिर हुसैन के बैंक खातों को सीज़ कर दिया था। जाँच एजेंसियों ने पहले ही स्पष्ट किया था कि इन दंगों के लिए सिलसिलेवार तरीके से षड्यंत्र रचा गया था। जाँच प्रक्रिया के दौरान पता चला था कि ताहिर हुसैन समेत कई लोगों के खातों में सऊदी अरब और देश के कई अलग-अलग हिस्सों से मोटी रकम आई थी। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए जाँच एजेंसियों और पुलिस ने इन बैंक खातों को सीज़ किया था।
इसके पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 44 और 45 के तहत कड़कड़डूमा कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया था। मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट का कहना था, “अभियुक्तों की संलिप्तता के बारे में प्रथम दृष्टया पर्याप्त भड़काऊ सामग्री है।”
गौरतलब है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में सुनियोजित ढंग से सांप्रदायिक दंगा कराया गया। इसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। कई परिवार बर्बाद हो गए, करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो गई। आम आदमी पार्टी की तुष्टीकरण की राजनीति के तहत अपराधियों को संरक्षण देने का काम किया गया।
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